– प्रदेशभर में मनाया गया रथ यात्रा उत्सव
भोपाल (Bhopal)। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में भी रविवार को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को कई जगहों पर भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) की रथ यात्रा (Rath Yatra) निकाली गई। यात्रा में तीन रथ शामिल रहे, जिनमें से एक में प्रभु जगन्नाथ, दूसरे में उनके भाई बलभद्र और तीसरे में उनकी बहन सुभद्रा सवार होकर निकले। इस दौरान भक्तों ने रस्सी से उनके रथ को खींचा।
भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और जबलपुर समेत प्रदेशभर में रथ यात्रा उत्सव मनाया (Rath Yatra festival celebrated) गया। इस दौरान प्रदेश केकई शहरों से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकली, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। पूरा माहौल जय जगन्नाथ से जयकारों से गूंज उठा। भक्त कृष्ण भक्ति में रंगे नजर आए। भजनों पर भक्त जमकर थिरके।
मिनी जगन्नाथपुरी के नाम से प्रसिद्ध विदिशा के मानोरा गांव में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रविवार को तड़के से ही शुरू हो गई थी। मानोरा में इस धार्मिक यात्रा का आयोजन तीन दिन तक किया जाता है। इस वर्ष यह शनिवार से शुरू हो गया था, जो कि सोमवार तक चलेगा। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह ने दोपहर करीब साढ़े 12 बजे भगवान जगदीश स्वामी के मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना की।
मानोरा में भगवान जगदीश स्वामी का प्राचीन मंदिर है। जहां जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के श्रीविग्रह विराजमान हैं। इनका संबंध ओडिशा के पुरी में निकलने वाली रथ यात्रा से भी जुड़ा है। मान्यता है कि पुरी में रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ का रथ जिस समय रुक जाता है, वहां शंकराचार्य यह घोषणा करते हैं कि भगवान अब मानोरा चले गए हैं। इसके बाद विदिशा के मानोरा में उत्सव शुरू हो जाता है। मानोरा में भगवान जगदीश स्वामी मंदिर में रविवार सुबह मंदिर के गर्भगृह से निकलकर तीनों भाई-बहन रथ में विराजे और भ्रमण पर निकले। गांव के घर-घर में जगन्नाथ भगवान का स्वागत हुआ। श्रद्धालुओं ने उनकी पूजा-आरती की।
वहीं, उज्जैन में इस्कॉन मंदिर से रथयात्रा निकाली गई, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त शामिल हुए और नाचते-गाते रथ को अपने हाथों से खींचते हुए आगे बढ़ रहे थे। रथयात्रा में शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग आए थे। वहीं, नर्मदापुरम में भी जगदीश मंदिर से धूमधाम से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई। बड़ी संख्या में भक्त दर्शन और रथ को खींचने के लिए पहुंचे।
इंदौर में भी छत्रीबाग के देवस्थान से शाम को श्रद्धा और उत्साह के साथ भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। भगवान चांदी के रथ पर सवार थे। भगवान को सोने के तारों से बनी पोशाख पहनाई गई। रथ में सवार प्रभु ने भक्तों को दर्शन दिए। यात्रा में झांकियां भी शामिल की गई थी। यात्रा छत्रीबाग से आसपास के क्षेत्रों में घूमकर फिर मंदिर में लौटी। इसके अलावा एरोड्रम रोड स्थित विद्याधाम से भी भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकली। जिसमें हजारों लोग शामिल हुए।
सागर के गोपालगंज स्थित वृंदावन बाग मठ से प्राचीन परंपरागत तरीके से भगवान की रथयात्रा निकाली गई। ठाकुरजी की रथयात्रा में एक हाथी, दो घोड़े, डमरू दल, बैंड पार्टी के साथ ध्वज पताकाएं आगे चलीं। गुलाब और मोगरा के फूलों से ठाकुरजी का श्रृंगार किया गया। गेंदे के फूलों से रथ सजाया गया। इसमें बड़ी संख्या में साधु-संत शामिल हुए।
रतलाम में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकली, जिसमें सबसे आगे अश्व और ऊंट पर भक्त सवार रहे और उनके पीछे इस्कॉन मंदिर के भक्तों की मंडली थिरकते हुए चल रही थी। भक्त रस्सी से भगवान जगन्नाथ के रथ को खींच रहे थे। छिंदवाड़ा में भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा उत्सव मनाया गया। लोगों ने रस्सी पकड़कर भगवान के रथ को खींचा। हरदा के प्राचीन जगदीश मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई। बड़ी संख्या में शामिल होकर श्रद्धालुओं ने रथ खींचा। पूर्व मंत्री कमल पटेल भी रथयात्रा में शामिल हुए।
इधर, भोपाल में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई, जिसमें शामिल हजारों भक्त शामिल हुए। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में शामिल भक्तों ने रस्सी से रथ खींचा। भोपाल में इस्कॉन की रथयात्रा में शामिल होने के लिए बच्चे देवी-देवताओं के वेश में पहुंचे थे। देवास में सुबह 10.30 बजे भोपाल चौराहा स्थित परिणय वाटिका गार्डन में रथ पर सवार भगवान जगदीश की आरती की गई। इसके बाद रथयात्रा शुरू हुई। यह भोपाल चौराहा से सयाजीद्वार होते हुए उज्जैन चौराहा पहुंची। यहां से उज्जैन के कार्तिक मंदिर के लिए रवाना हुई।
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