भोपाल। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) द्वारा एक विधिक प्रकोष्ठ की स्थापना की गई है। विधिक प्रकोष्ठ की स्थापना का उद्देश्य अनावश्यक शिकायत एवं मुकदमेबाजी में कमी, परीक्षार्थी की शंका का समाधान एवं पूर्ण संतुष्टि तथा धन एवं समय के अपव्यय को रोकना है। दावा किया जा रहा है कि प्रकोष्ठ परीक्षार्थियों की शंकाओं का पारदर्शी रूप से समाधान करेगा ताकि मामले कोर्ट तक न पहुंचें। प्रकोष्ठ में दो सदस्यों की नियुक्ति की गई है। तीसरे नाम का इंतज़ार जारी है। प्रकोष्ठ तीन सदस्यीय होगा। जस्टिस आई.एस. श्रीवास्तव, से.नि. उच्च न्यायालय न्यायाधीश प्रकोष्ठ के अध्यक्ष बनाये गए हैं। पीएससी में सचिव रह चुकी रेनु पंत, से.नि. आई.ए.एस. को सदस्य नियुक्त किया गया है। प्रकोष्ठ में प्रकरणों की स्थिति के अनुसार तीसरे सदस्य की नियुक्ति शीघ्र ही की जाएगी। यह विधिक प्रकोष्ठ एक सूचना केन्द्र के रूप में कार्य करेगा और आयोग के विरूद्ध सीधे मुकदमेबाजी करने वाले आवेदकों को एक ऐसी फोरम मिलेगी, जिसमें उनकी अधिकांश शंकाओं का प्रारंभिक स्तर पर ही निराकरण हो जायेगा। विधिक प्रकोष्ठ के गठन से आवेदक न्यायालयीन प्रक्रिया का कम से कम सहारा लेंगे और आयोजित हो चुकी परीक्षाओं के व्यवधानों में कमी आयेगी।
आरटीआई में कॉपी नहीं
एमपी पीएससी पर विद्यार्थी आरोप लगाते रहे हैं कि उम्मीदवारों को आरटीआई में उत्तरपुस्तिकाएं भी नहीं दी जाती। ऐसे में भी कोर्ट में जाने वाले मामलों की संख्या बढ़ रही है। अब दावा किया जा रहा है कि भविष्य में शासकीय सेवाओं के माध्यम से अपना कैरियर बना रहे युवाओं नया फोरम पारदर्शिता के साथ एक ऐसा प्लेटफॉर्म भी देगा। जिसके माध्यम से वे अपनी तमाम शंकाओं का बेहतर समाधान तो पाएंगे ही साथ ही निर्मूल अफवाहों पर भी सक्षम प्रशासनिक लगाम लग सकेगी।
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