भोपाल। मप्र पुलिस डिप्रेशन का शिकार हो रही है। इसका खुलासा खुद पुलिस के नए प्रयोग के दौरान हुआ। हालांकि, अब उसके डिप्रेशन को दूर करने के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट पर काम शुरू हो गया है। इस नए प्रयोग से मानसिक दबाव कम होगा और पुलिसकर्मी की कार्यक्षमता भी बढ़ेगी। इसके लिए सबसे पहले रेगुलर होने वाली परेड के फॉर्मेट में बदलाव किया गया है। बता दें, ये नई पहल भोपाल में पुलिस कमिश्नर सिस्टम शुरू होने के बाद की गई है। इसका मकसद पुलिस के तनाव को दूर करने के साथ उनकी फिटनेस पर ध्यान देना भी है। इस नई पहल के तहत हाल ही में नेहरू नगर पुलिस लाइन में आत्म संवर्धन एवं क्षमता विकास कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में हुए मेडिकल परीक्षण के आंकड़ों के अनुसार पुलिस डिप्रेशन में है और शहर की 31 प्रतिशत पुलिस को ब्लड प्रेशर की शिकायत है। इसके अलावा और भी कई मानसिक और शारीरिक लक्षणों को मेडिकल टेस्ट में परखा गया।
परेड व्यवस्था में बदलाव
पुलिस की मानसिक और शारीरिक क्षमता को बढ़ाने के लिए करीब 166 साल पहले शुरू हुई परेड व्यवस्था में बदलाव किए गए हैं। भोपाल जिला पुलिस लाइन में हर मंगलवार व शुक्रवार को होने वाली रेगुलर परेड में अब इमोशनल हेल्थ एक्सरसाइज एंड वैलनेस मॉड्यूल को भी शामिल किया गया है। इस परेड में पुलिस कर्मियों की मानसिक और शारीरिक समस्या से जुड़ी तमाम तरीके की जानकारी अधिकारियों को मिल जाती है। पुलिसकर्मियों के बौद्धिक विकास और मानसिक व शारीरिक कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए ‘आत्म संवर्धन एवं क्षमता विकासÓ कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
पुलिसकर्मी अपनी दिनचर्या को बेहतर बनाएं
पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर का कहना है कि हमारा प्रयास है कि पुलिसकर्मी अपनी दिनचर्या को बेहतर बनाएं। स्वास्थ्य ठीक रखें, अपने कर्तव्यों और सेहत के प्रति जवाबदेह बनें। उन्होंने बताया कि इसके लिए पुलिस को अनुशासित करना जरूरी है। इसकी जड़ परेड है। इसलिए परेड की व्यवस्था बदली गई। परेड के मायने व तरीके बदल गए हैं। इसमें अच्छे स्वास्थ्य, अच्छी हेल्थ, अच्छी इंटेलिजेंस के साथ हर पैमाने पर काम करना है। हम एक्सपर्ट की मदद से पुलिसकर्मियों को सक्षम बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
पुलिस की कमियों को दूर करना जरूरी
एडिशनल पुलिस कमिश्नर सचिन अतुलकर ने कहा कि पुलिसकर्मियों की बीमारियों के साथ उनके तनाव को कम करने के लिए एक नया प्रयोग किया गया है। इसकी शुरुआत कुछ महीनों पहले की गई है। इसे हमने नई परेड का नाम दिया है। उन्होंने कहा कि वैसे पुलिस में रेगुलर परेड भी होती है, लेकिन अब नई परेड के जरिए हम पुलिसकर्मियों से बातचीत करते हैं। उनकी बीमारियों के साथ उनकी समस्याओं को सुनते हैं। यह सब इसलिए किया जाता है, ताकि पुलिसकर्मियों की समस्याओं को हल किया जा सके और उनके तनाव को भी कम किया जा सके। इसके तहत एक कार्यशाला का आयोजन किया जाता है।
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