मुरैना। मध्यप्रदेश की मुरैना (Morena) पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। सिटी कोतवाली (City Kotwali) सहित जिले के अन्य थानों में लोगों का पैसा वापस न करने के कारण सहारा कंपनी के डायरेक्टर (Director of Sahara Company) पर कई मामले दर्ज किए गए। जिनमें से एक मामले में मुरैना पुलिस ने कंपनी के डायरेक्टर को दिल्ली एयरपोर्ट (Delhi Airport) से गिरफ्तार किया है। अब पुलिस आरोपी को पांच दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है।
बताया जा रहा है कि पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर सिटी कोतवाली थाना प्रभारी योगेंद्र सिंह जादौन के निर्देशन में एसआई पवन सिंह भदौरिया के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई, जो सहारा कंपनी के डायरेक्टर करुणेश अवस्थी (Karunesh Awasthi) की तलाश में लखनऊ पहुंची थी। अवस्थी को मुरैना पुलिस के आने की भनक लग गई और वह लखनऊ एयरपोर्ट से भाग निकला, लेकिन तब पुलिस टीम ने लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मदद ली और उसके बाद लोकेशन ट्रेस कर अवस्थी को दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस टीम आरोपी को मुरैना ले आई। फिलहाल अवस्थी को पांच दिन की पुलिस रिमांड पर रखा गया है। पुलिस पूछताछ में स्थिति स्पष्ट हो पाएगी की सहारा कंपनी ने मुरैना जिले के कितने उपभोक्ताओं का कितना पैसा हड़पा है।
सहारा इंडिया के खिलाफ जिले के पांच थानों में 16 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनमें सहारा अथॉरिटी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हैं। सहारा इंडिया का डायरेक्टर करुणेश अवस्थी गिरफ्तारी से बचने के लिए स्मार्ट फोन की जगह की-पैड मोबाइल फोन का उपयोग करता था। इसलिए स्पेशल टीम लखनऊ सिटी में उसकी लोकेशन ट्रेस नहीं कर पा रही थी। हाल ही में स्पेशल टीम ने सहारा की हाई सिक्योरिटी रेजीडेंशियल बिल्डिंग का पता लगाकर आरोपी डायरेक्टर करुणेश के आने-जाने पर तीन दिन तक नजर रखी। बीते दो दशक पहले उत्तरप्रदेश की सहारा इंडिया कम्पनी द्वारा मुरैना में लोगों को 8 साल में दोगुनी राशि दिए जाने का प्रलोभन दिया था और जिले के 92 हजार से ज्यादा गरीब लोगों के 220 करोड़ रुपये की राशि कम्पनी में जमा करा दी। निर्धारित समयावधि पर राशि न मिलने पर निवेशकों ने जिले के पोरसा, कैलारस, सबलगढ़ तथा मुरैना शहर के थानों में 16 अपराध दर्ज कराये थे।
नई दिल्ली एयरपोर्ट पर क्राइम ब्रांच की टीम ने जब सहारा डायरेक्टर करुणेश अवस्थी को सीआईएसएफ से अपनी कस्टडी में लिया तो आरोपी करुणेश ने पुलिस पर दबाव बनाने के लिए कहा कि उसे अवैध निरोध में कैसे रखा जा सकता है। उसकी बात गृहमंत्री से कराई जाए। उसकी बात डीजीपी से कराई जाए। हालांकि इसका क्राइम ब्रांच टीम पर कोई असर नहीं हुआ।
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