भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भोपाल (Bhopal) में गायों की दुर्दशा (Plight of Cows) पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. राज्य और नगर निगम (State and Municipal Corporation) में भाजपा (BJP) की सरकार (Government) के बावजूद, पशु आश्रय केंद्र में गायों की मौत हो रही है. दावा है कि रोजाना 2-3 गाय मर रही हैं. वहीं, सरकार का दावा है कि 250 करोड़ का बजट (250 crore budget) गायों के संरक्षण के लिए है।
मध्य प्रदेश की मोहन सरकार (Mohan Government) ने मानसून सत्र के बजट में गो कल्याण पर बड़ा ऐलान किया था. सरकार ने गो वंश की रक्षा के लिए 250 करोड़ रुपये का बजट बढ़ाया है. इसके बावजूद एमपी की राजधानी भोपाल के हालात देखे जाएं तो साफ हो जाएगा कि किस तरह गो कल्याण किया जा रहा है। बेसहारा गोवंश के लिए सरकार लंबे चौड़े दावे से उलट पशु आश्रय स्थल की हकीकत हैरान करने वाली है. आश्रय स्थल में 80 गाय को रखने की क्षमता है, मगर 152 रखी गई है. इनमें से 8 से 10 गाय मर चुकी है, जिन्हें उठाया तक नहीं गया।
पशु आश्रय स्थल के मौके पर हालात बुरे है. यहां पर जगह-जगह गायों के शव पड़े हैं. 80 गायों की क्षमता वाले आश्रय स्थल में 152 गाय है. इनमें से 8 से 10 अब तक मर चुकी है. आधी खुले शेड में बारिश के पानी में भीगने को मजबूर है. आश्रय स्थल पर जिंदा और बीमार गायों के बीच ही मृत गायों के शव पड़े हैं. नगर निगम की लापरवाही इस कदर है कि शव तक नहीं उठाए गए।
इतना भारी भरकम बजट क्यों?
मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने इसी महीने के गौ कल्याण के लिए तीन गुना ज्यादा 250 करोड़ का बजट रखा है. गायों के सरंक्षण के लिए हर गाय के लिए 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये का अनुदान कर दिया गया है. सरकार ने इस साल गायों के कल्याण के लिए 252 करोड़ का प्रावधान किया है. पशुपालकों और गौशालाओं के लिए 590 करोड़, दुग्ध उत्पादकों के प्रोत्साहन के लिए 150 करोड़, गौशालाओ के लिए अलग से अब 250 करोड़ की राश, 150 करोड़ रुपये प्रदेश में चल रही गौशालाओं के लिए है।
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