दमोह। दमोह जिले (Damoh District) के बटियागढ़ ब्लॉक में एक ऐसा गांव (Village) है जिसका नाम अब तक पंचायत (Panchayat) के रिकॉर्ड में नहीं है, जबकि विपतपुरा (Vipatpura) नाम का यह गांव पूरे जिले में चर्चित है। इस गांव में लगभग 400 की आबादी निवास करती है, लेकिन इसका नाम ग्राम पंचायत में दर्ज नहीं है। इससे यहां के ग्रामीणों को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। यहां के निवासियों के पास रहने के लिए पट्टे तक नहीं हैं।
दरअसल, दमोह-छतरपुर मार्ग पर नरसिंहगढ़ से एक किमी दूर नदी के उस पार सड़क किनारे रहने वाले लोग 19 साल से यहां बसे हुए हैं। 2005 में क्षेत्र में आई बाढ़ के कारण ग्राम मोठा के लोग जान बचाकर वहां से भागे और एक किमी दूर आकर खाली पड़ी जगह पर झोपड़ी बनाकर रहने लगे। अब वे यहां स्थायी निवास बनाकर रह रहे हैं, लेकिन उनका गांव शासन की योजनाओं से आज भी वंचित है। न तो गांव में कोई स्कूल है और न ही अस्पताल।
गांव में रहने वाले अशोक और पूरन आदिवासी ने बताया कि हम लोग मोठा गांव में रहते थे। 2005 में बाढ़ के कारण चारों ओर से घिर गए थे। वहां से भागकर यहां आकर रहने लगे। इस जगह का कोई नाम नहीं था। बसों के कंडक्टरों ने यात्रियों को उतारने के लिए इस जगह को विपतपुरा कहना शुरू कर दिया, क्योंकि यहां रहने वाले लोग विपत्ति के मारे थे। बस कंडक्टरों के बोलने से यह गांव इसी नाम से प्रसिद्ध हो गया।
बेबी आदिवासी, नरेंद्र, द्रोपतीबाई और कप्पोबाई ने बताया कि गांव में लगभग 50 बच्चे हैं जिनके नाम मोठा प्राइमरी स्कूल में दर्ज हैं। यदि कोई साथ जाता है तो बच्चों को स्कूल भेजते हैं, वरना दूरी के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। मुख्य सड़क किनारे बसे होने के कारण यहां 24 घंटे वाहनों की आवाजाही होती है, जिससे दुर्घटनाएं होती रहती हैं। कुछ लोगों को मोठा पंचायत से पीएम आवास स्वीकृत हुए हैं, लेकिन बाकी लोग कच्चे मकानों और झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं। यहां रहने वालों के पास इस जमीन का पट्टा नहीं है।
बरखेरा नाहर, सुम्मेर, सिरसिया और कुमेरिया जैसे गांव मोठा पंचायत में शामिल हैं, लेकिन विपतपुरा का नाम पंचायत के रिकॉर्ड में नहीं है। यहां के लोग पानी के लिए सड़क किनारे लगे हैंडपंप पर निर्भर हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 95 घर आदिवासी समाज के हैं। इसके अलावा, 5 घर अठया समाज, 1 सेन समाज, 2 साहू समाज और 1 यादव परिवार निवास करता है।
मोठा ग्राम पंचायत के सरपंच महेंद्र पटेल ने कहा कि भले ही यह गांव अलग है, लेकिन लोग पंचायत के ही रहने वाले हैं। इसलिए उन्हें योजनाओं का लाभ दिलाने का प्रयास किया जाता है। बटियागढ़ जनपद के सीईओ अनुग्रह सिंह ने बताया कि यदि गांव का नाम पंचायत के रिकॉर्ड में नहीं है तो इसे रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। मामला देखकर ही कुछ कहा जा सकता है।
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