शाजापुर: दीपावली (Diwali) के अवसर पर जहां सभी लोग माता लक्ष्मी (mata lakshmi) का पूजन करते हैं. वहीं मक्सी के गुर्जर समाजजन पूर्वजों का श्राद्ध करते है. जिसे तर्पण भी कहा जाता है. इसके लिए गुर्जर समाज के लोग अपने घर से पूजन सामग्री लेकर आते हैं. सभी समाज के राव अपने यजमान के साथ एक विशेष प्रकार का लोकगीत गाते हुए नदी या तालाब के पास पहुंचते है. समाजजन भी राव के पीछे नदी या तालाब के पास इकट्ठे हो जाते है. यहां पर सभी लोग मिलकर पूजन पाठ व धूप ध्यान देकर अपने पूर्वजों को निमित्त करते है.
इसके बाद एक विशेष प्रकार का पौधा जिसे ओजीझाड़ा कहते है, लेकर आते है और उसकी बेल बनाते है. जिसे बेलड़ी लगाना भी कहते है. फिर सभी लोग पानी में उतरकर एक कतार में लगते है और अपने हाथों में पुड़ी व खीर ले लेते है. अंत में सभी लोग झुककर तीन बार पानी में हाथ की खीर पुड़ी को हिलाने के बाद एक साथ छोड़ देते है.
गुर्जर समाज ने निकाला चल समारोह
गुरुवार (Thursday) को पहली बार नई शुरुआत करते हुए नए मार्ग से गुर्जर समाज के सभी लोग देवनारायण मंदिर के सामने एकत्र हुए. जहां से बैंड बाजे के साथ चल समारोह निकाला गया. चल समारोह बजरंग मोहल्ला, गुर्जर मोहल्ला, तकिया चौराह, लुनिया खेड़ी रोड होते हुए अपने गंतव्य तक पहुंचा.
कल खिलाएंगे छेड़ा
सामूहिक रूप से पूर्वजों का तपर्ण करने के बाद सभी लोग दीपावली के अगले दिन पड़वा को गाय का पूजन करते है. इसके बाद गाय को छेड़ा खिलाया जाता है. नगर में वर्षों से चली आ रही इस परंपरा का सभी पालन करते हैं
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