भोपाल। खाद्य विभाग के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने शुक्रवार को भोपाल संभाग की खरीफ उपार्जन की समीक्षा बैठक में निर्देश दिए हैं कि केन्द्र शासन के निर्देशानुसार धान उपार्जन की राशि का भुगतान सीधे किसानों के आधार लिंक बैंक खाते में होगा। इसके लिये सभी जिला कलेक्टर्स यह सुनिश्चित करें कि धान उपार्जन के लिये पंजीकृत किसानों के आधार से बैंक खाते लिंक कराएं। इसके साथ ही बैंक खाते की लिकिंग की सुनिश्चिता के लिये आवश्यकता होने पर एक रूपए की राशि का भुगतान करें।
प्रमुख सचिव किदवई ने कहा कि सभी अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि किसके आधार से कौन सा बैंक खाता लिंक है और किसानों को भी पंजीयन के दौरान यह जानकारी उपलब्ध कराएं।
संभागायुक्त कार्यालय में शुक्रवार को हुई बैठक में कमिश्नर कवीन्द्र कियावत, प्रबंध संचालक वेयर हाउस कार्पोरेशन तरुण कुमार पिथोड़े, कलेक्टर अविनाश लवानिया, संचालक, खाद्य नागरिक आपूर्ति दीपक सक्सेना सहित भोपाल संभाग के जिला कलेक्टर्स एवं उपार्जन संबंधी सभी विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक में संभागायुक्त कवीन्द्र कियावत ने भी कहा कि रबी उपार्जन के साथ यह व्यवस्था रहेगी इसके लिए जिले के सभी को-ऑपरेटिव बैंक मैनेजर माह दिसम्बर – 2021 तक समस्त पंजीकृत किसानों के आधार को बैंक खातों से लिंक कराएं।
प्रमुख सचिव किदवई ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए कि वेयरहाउस के मालिकों और संचालकों को किराये की राशि के भुगतान की कार्रवाई तुरंत करें। उपार्जन के दौरान जिले के अधिकारी यह भी देखें कि सभी वेयर हाउसों में गेहूं की फसल रखी जा सके। कोई भी वेयर हाउस खाली नहीं रहें। जिलों में उपार्जन केन्द्रों को वेयर हाउस के नजदीक ही बनाया जायें ताकि किसानों को परिवहन के दौरान कोई समस्या उत्पन्न नहीं हो। उन्होंने धान उपार्जन में क्वालिटी कंट्रोल का विशेष ध्यान रखने और धान की क्वालिटी के लिये आवश्यकता होने पर जिलों से मांग आने पर प्रशिक्षित क्वालिटी कंट्रोलर की मदद लेने के लिए भी कहा।
धान पंजीयन के लिए 15 अक्टूबर तक समय निर्धारित
समीक्षा के दौरान किदवई ने बताया कि खरीफ वर्ष 2021-22 में समर्थन मूल्य पर उपार्जन हेतु धान (कॉमन) 1940 रुपये प्रति क्विंटल, ज्वार (हाईब्रिड) 2738 रुपये प्रति क्विंटल तथा बाजरा 2250 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाएगी। इसके साथ भोपाल संभाग में 01 नवम्बर से जनवरी 2022 तक खरीफ फसल की खरीदी की जाएगी। उन्होंने कहा कि धान पंजीयन में भोपाल संभाग में अब तक 810 किसानों द्वारा अपना पंजीयन कराया गया है। उन्होंने बताया कि धान पंजीयन के लिए 15 अक्टूबर 2021 तक समय निर्धारित किया गया है।
किदवई ने कहा कि उपार्जन केन्द्रों का अंतिमीकरण जिला उपार्जन समिति द्वारा, ई-उपार्जन केन्द्रों के निर्धारण के लिए जिला आपूर्ति अधिकारी तथा जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक को नोडल बनाया गया है तथा किसानों के सत्यापन के लिए जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एसडीएम और तहसीलदार को नियुक्त किया जा सकेगा।
वेयर हाउस के साथ समानता रखें
प्रमुख सचिव किदवई ने बैठक में समस्त जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए कि जिले में वेयर हाउस के साथ समानता का अधिकार रखें। उनके हितों का संरक्षण भी जरूरी है, ताकि समय पर उपार्जन तथा भंडारण क्षमता सीमित हो सके। उन्होंने कहा कि जिलों में ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जिससे हितग्राही को भी व्यवस्थित उपार्जन का हिस्सा बनाया जा सके।
उन्होंने कहा कि सभी जिला कलेक्टर यह भी सुनिश्चित करें कि जिलों में पूर्व में हुए पंजीयनों के आधार पर किसानों के बैंक खाता आधार से लिंक हो सके ताकि भविष्य में होने वाले उपार्जन कार्य के दौरान उनके भुगतान संबंधी समस्या नहीं हो। उन्होंने सभी डीएसओ, नॉन – मार्कफेड के अधिकारियों को भी निर्देशित किया कि आगामी नवम्बर – दिसम्बर तक पंजीकृत किसानों के खातों को आधार से लिंक करें ताकि भुगतान सही और सटीक व्यक्ति के खातें में स्थानांतरित किया जा सके।
भोपाल संभाग में सर्वाधिक धान उपार्जन सीहोर और रायसेन जिले में होता है। इसके लिये व्यवस्था चाक- चौबंद कर लें। दोनों जिले 50-50 हजार मीट्रिक टन धान का उपार्जन करते है। इसके लिए तय भंडारण और मिलिंग की व्यवस्था बनायें तथा विगत वर्ष की शेष धान की मिलिंग 30 सितम्बर तक सुनिश्चित करें।
संभागायुक्त कियावत ने कहा कि खरीफ उपार्जन – 2021 के लिये नवम्बर – दिसम्बर माह का समय निर्धारित किया गया है। इसके लिये सभी जिला कलेक्टर्स समुचित व्यवस्था बनाये । उन्होंने कहा कि इस बार ई-उपार्जन प्रणाली प्रारंभ की गई है जिसमें अधिकाधिक कृषकों को जोड़कर सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करायें। जिलों में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा धान मिलिंग के लिये एकजाई प्रारूप बनाया जाए ताकि उपार्जन के दौरान सभी केन्द्रों तथा उपार्जन संबंधी सभी आवश्यकता के अनुरूप हो सके। उन्होंने कहा कि धान मिलिंग और उपार्जन केन्द्रों का निर्धारण इस प्रकार हो कि कृषकों को अपने उपार्जित फसल के लिए ज्यादा दूर बने केन्द्रों तक नहीं जाना पड़े।
बैठक में तरुण कुमार पिथोड़े ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण धान ही खरीदी जायें। मिलिंग के दौरान भी यह ध्यान दिया जाए कि धान की क्वालिटी खराब नहीं हो। धान से बने चावल का उपयोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली में किया जाना है। उन्होंने कहा कि उपार्जन केन्द्रों के प्रबंधकों के डिजीटल ई-साइन बनवाए जायें। भुगतान प्रबंधकों के माध्यम से ही सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने सभी समितियों के शेष बने बारदानों की समय पर वापसी करने के निर्देश भी दिए। अन्यथा उसकी राशि काटी जाए। (एजेंसी, हि.स.)
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