जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) में गुरुवार को अन्य पिछड़ा वर्ग (Other backward classes) को राज्य सरकार द्वारा दिये गए 27 फीसदी आरक्षण (27% reservation) को लेकर लगाई गई याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान उच्च न्यायालय (High Court) ने एक अहम अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार से कहा है कि हाईस्कूल शिक्षकों के पदों पर जारी भर्ती प्रक्रिया में अन्य पिछड़े वर्ग को 14 फीसदी से अधिक आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाए। इस मामले में अदालत ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग, सचिव सामान्य प्रशासन विभाग, आयुक्त लोक शिक्षण और व्यापमं के चेयरमैन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 6 दिसम्बर को होगी।
मध्य प्रदेश के प्रबल प्रताप सिंह समेत राजस्थान और उत्तर प्रदेश के सामान्य वर्ग के 11 उम्मीदवारों ने सरकार के उस अध्यादेश को चुनौती दी थी, जिसमें उक्त भर्ती प्रक्रिया में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया है। गुरुवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और न्यायमूर्ति विजय शुक्ला की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके वर्मा ने दलील दी कि पूर्व में महाधिवक्ता द्वारा दिए गए ओपीनियन के बाद ही यह निर्णय लिया गया है। सरकार ने 2 सितंबर 2021 को यह अध्यादेश जारी किया था।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संघी ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने 1992 में इंदिरा साहनी के प्रकरण में स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि आरक्षण का कुल प्रतिशत 50 से अधिक नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी हाईकोर्ट ने इस तरह के अन्य प्रकरणों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर रोक लगाई है। उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अंतरिम आदेश जारी किया, जिसमें फिलहाल शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण ही देने की बात कही, साथ ही सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। मामले में अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी। (एजेंसी, हि.स.)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved