भोपाल । मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में निकाय चुनाव (civic elections) में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में आज रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई हुई. उस पर बुधवार या गुरुवार को फिर सुनवाई होगी. उसके बाद फैसला आने की उम्मीद है. इसी उम्मीद के बीच ओबीसी आरक्षण की आस अभी बरकरार है. कोर्ट ने मंगलवार को मोडिफिकेशन याचिका पर सुनवाई के बाद कहा अगर ओबीसी आयोग की रिपोर्ट में दर्ज आंकड़े सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले पर खरे उतरते हैं तो इस बार के चुनाव में भी ओबीसी आरक्षण की इजाजत दी जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी पर ओबीसी संगठनों की प्रतिक्रिया सामने आई है. ओबीसी एससी-एसटी एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष लोकेंद्र गुर्जर ने कहा सरकार को कोर्ट में सही और गंभीरता से रिपोर्ट पेश करनी चाहिए. सरकार कोर्ट में पंचायतवार ओबीसी की रिपोर्ट पेश करे. हालांकि लोकेंद्र गुर्जर ने ये भी कहा कि अगर चुनाव में ओबीसी को रिजर्वेशन नहीं मिलता है तो फिर संगठन चुनाव बहिष्कार का ऐलान करेगा और इसके लिए सड़कों पर उतरेगा. ओबीसी संगठन इससे पहले भी निकाय चुनाव में आरक्षण न मिलने पर 21 मई को मध्य प्रदेश बंद का ऐलान कर चुका है.
क्या है मामला ?
मध्य प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव होने हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के ही चुनाव कराने का फैसला सुना दिया था और राज्य निर्वाचन आयोग से दो हफ्तों में अधिसूचना जारी करने के लिए कहा था. इस पर मध्य प्रदेश सरकार की ओर से मोडिफिकेशन याचिका दाखिल की गई थी. मंगलवार को इस पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा अगर ओबीसी आयोग की रिपोर्ट में दर्ज आंकड़े सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले पर खरे उतरते हैं तो इस बार के चुनाव में भी ओबीसी आरक्षण की इजाजत दी जा सकती है.
पार्टियां कर रहीं तैयारी
उधर ओबीसी आरक्षण पर सियासत भी तेज़ है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद कि चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना ही कराए जाएं बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने पार्टी स्तर पर ओबीसी को 27 फीसदी या उससे ज्यादा टिकट देने का ऐलान कर दिया था. हालांकि ओबीसी संगठनों का कहना है कि पंचायत चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं लड़े जाते ऐसे में टिकट देने की बात बेमानी है. सरकार को संवैधानिक ओबीसी को आरक्षण देने पर ही जोर देना चाहिए.
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