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MP: अब विधायकों और हारे हुए उम्मीदवारों से मिलेंगे चव्हाण

  • कांग्रेस की करारी हार के कारण जानने के लिए लंबी कवायद
  • प्रदेश चुनाव समिति के सदस्यों से भी रूबरू होंगे

इंदौर। कांग्रेस (Congress) के केंद्रीय नेतृत्व ने मध्यप्रदेश (MP) में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में पार्टी की करारी हार के कारण जानने में पूरी ताकत लगा रखी है। पार्टी द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी (Fact Finding Committee) 6 और 7 जुलाई को फिर भोपाल में रहेगी। कमेटी इस बार पार्टी विधायकों और विधानसभा चुनाव में पराजित उम्मीदवारों (candidates) से चर्चा करेगी। प्रदेश कांग्रेस की चुनाव समिति के सदस्यों से भी चव्हाण और उनके साथी रूबरू होंगे।


जून के अंतिम सप्ताह में चव्हाण के साथ ही ओडिशा के सांसद सप्तगिरि उल्का और गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी भोपाल आए थे और दो दिन रहकर लोकसभा चुनाव में पराजित उम्मीदवारों और पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी के सदस्यों से मिले थे। उनका मकसद लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के कारण जानना था। तीनों नेताओं ने लोकसभा चुनाव में पराजित उम्मीदवारों से वन-टू-वन चर्चा की थी।

5 जुलाई को तीनों नेता फिर भोपाल आ रहे हैं। तय कार्यक्रम के मुताबिक 6 जुलाई को वे प्रदेश के विधायकों और 2023 के विधानसभा के चुनाव में पराजित उम्मीदवारों से चर्चा करेंगे। अगले दिन चुनाव समिति के सदस्यों से रूबरू होंगे। इस दौरान प्रदेश के प्रभारी महासचिव भंवर जितेंद्रसिंह भी मौजूद रहेंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी अमरवाड़ा उपचुनाव से फ्री होने के बाद दोनों दिन भोपाल में ही रहेंगे।

सूत्रों के मुताबिक पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में करारी हार और संगठन की कमजोर स्थिति को बहुत गंभीरता से लिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े का कार्यालय भी अलग-अलग स्तर पर मध्यप्रदेश में संगठन के कामकाज की समीक्षा कर रहा है। इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि मध्यप्रदेश के संगठन प्रभारी के रूप में भंवर जितेंद्रसिंह के स्थान पर जल्दी ही किसी वरिष्ठ नेता को तैनात किया जा सकता है। केंद्रीय नेतृत्व ने इन दिनों मध्यप्रदेश को अपनी प्राथमिकता पर रख रखा है और नए नेतृत्व को मौका देने के साथ ही पुराने नेताओं को भरोसे में लेकर आगे बढऩे की नीति अपनाई है। प्रदेश कांग्रेस की नई प्रबंधकारिणी के मामले में भी नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को फ्री हैंड न देते हुए सारे सूत्र अपने हाथ में रखने का निर्णय लिया है। केंद्रीय नेतृत्व यह संकेत तो पहले ही दे चुका है कि प्रबंधकारिणी छोटी होगी और इसमें सिफारिश के बजाय परफॉर्मेंस के आधार पर मौका दिया जाएगा।

नाथ और दिग्गी से भी बात करेंगे चव्हाण
चव्हाण और उनके साथी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह और कमलनाथ से भी बात करेंगे। इसके पीछे भी उनका मकसद प्रदेश में कांग्रेस की इतनी बुरी हालत के कारण जानना रहेगा। पिछली यात्रा के दौरान दिग्विजयसिंह कमेटी से चर्चा के लिए नहीं पहुंचे थे। कमलनाथ भी प्रदेश से बाहर थे और इस कारण उनकी भी कमेटी के सदस्यों से मुलाकात नहीं हो पाई थी। केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि मध्यप्रदेश के मामले में इन दोनों नेताओं की राय को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता।

फीडबैक को क्रॉसचेक भी किया जा रहा है
केंद्रीय नेतृत्व मध्यप्रदेश के मामले में माइक्रो प्लानिंग पर काम कर रहा है, इसलिए कमेटी के सदस्यों से जो फीडबैक मिला था उसे क्रॉसचेक भी करवाया जा रहा है। इसके लिए केंद्रीय कार्यालय के कुछ नेताओं को जिम्मेदारी सौंप गई है।

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