भोपाल: 2008 के मालेगांव बम धमाके (Malegaon bomb blasts) के मामले में घिरी भोपाल से बीजेपी की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर (Former MP Pragya Thakur) सहित सात आरोपियों को एनआईए ने फांसी की सजा देने की मांग की है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मुंबई के स्पेशल कोर्ट से मालेगांव ब्लास्ट में सभी सात आरोपियों पर UAPA की धारा 16 के तहत सजा देने का अनुरोध किया है. बता दें कि मालेगांव बलास्ट में 6 मुस्लिमों की जान गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
एनआईए ने अपनी आखिरी दलील पेश की है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि जिस तरह का अपराध किया गया था. उसके अनुपात में आरोपियों को सजा दी जाए. इस केस में पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ UAPA की धारा 16 और 18 और आईपीसी की धारा 120 बी, 302, 307, 324, 326 और 427 के मामले दर्ज किए गए थे.
17 साल पहले हुए बम धमाके में 6 मुस्लिम मारे गए थे और 100 से ज्यादा घायल हुए ते. इस मामले की दलीलें पूरी होने के बाद NIA की आखिरी लिखित दलील दायर की है. NIA की इस दलील में करीब डेढ़ हजार पेज है. फिलहाल कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है. 8 मई को जज एके लाहोटी अपना फैसला सुनाएंगे.
बता दें कि पहले एनआईए के द्वारा प्रज्ञा ठाकुर को बरी करने की कोशिश की थी, कहा गया था कि उनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिले हैं. लेकिन अब एनआईए ने अपना रुख बदल दिया है. नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने अदालत से किसी भी तरह की नरमी न बरतने का आग्रह किया है. जबकि 323 गवाहों में से 32 ने कथित तौर पर दबाव में आकर अपने बयान वापस ले लिए है.
मामले में साध्वी प्रज्ञा, कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, समीर कुलकर्णी, स्वामी दयानंद पांडे और सुधाकर चतुर्वेदी पर हिंदुत्व विचारधारा से जुड़ी एक व्यापक साजिश के तहत विस्फोट की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का आरोप है.
सितंबर, 2008 का मालेगांव विस्फोट उन पहली आतंकी घटनाओं में से एक था, जिसमें दक्षिणपंथी हिंदुत्व समूहों को संदिग्ध के तौर पर नामित किया गया था. महाराष्ट्र एटीएस की जांच में प्रज्ञा ठाकुर का नाम निकलकर सामने आया था. एटीएस की शुरुआती जांच में साध्वी प्रज्ञा को मुख्य आरोपी माना गया था, लेकिन बाद में NIA ने उनसे पूछताछ करने में आनाकानी की थी. अब एनआईए ने कड़ी सजा देने की मांग की है.
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