भोपाल। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) से पहले नेताओं का पाला बदलने का सिलसिला जारी है। इसमें सबसे ज्यादा भगदड़ कांग्रेस (Congress) में मची है। एक जनवरी 2024 से अब तक हर दिन करीब 200 नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस छोड़ी। अब गुरुवार को नागौद से पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह भाजपा (BJP) में शामिल होंगे। यादवेंद्र सिंह ने विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर बसपा (BSP) से चुनाव लड़ा था। अब वे भाजपा की सदस्यता लेने वाले हैं। जानकारी के अनुसार इस साल एक जनवरी 2024 से अब तक प्रदेश के करीब 14,758 कांग्रेस नेताओं, पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ी है। पार्टी छोड़ने वाले करीब शत-प्रतिशत लोग भाजपा में शामिल हुए हैं। इसमें आठ पूर्व विधायक समेत कई बड़े पदाधिकारी शामिल हैं।
ये बड़े नेता हुए भाजपा में शामिल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, जबलपुर महापौर जगत प्रकाश अन्नू, पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, पूर्व विधायकों में देपालपुर से विधायक विशाल पटेल, इंदौर-1 से पूर्व विधायक संजय शुक्ला, पिपरिया से पूर्व विधायक अर्जुन पलिया, टीकमगढ़ से पूर्व विधायक दिनेश अहिरवार, सागर खुरई से पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे, गुन्नौर से पूर्व विधायक शिवदयाल बागरी, चौरई से पूर्व विधायक चौधरी गंभीर सिंह, भांडेर से विधायक कमलापत आर्य शामिल हैं। इसके अलावा बड़वानी जिला कांग्रेस अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह राठौर, पूर्व एडीजी सुखराज सिंह, विदिशा कांग्रेस जिला अध्यक्ष राकेश कटारे, डिंडौरी जिला पंचायत अध्यक्ष रुद्रेश परस्ते, छिंदवाड़ा से आने वाले कमलनाथ के करीबी और कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सैयद जाफर, पूर्व महाधिवक्ता व कांग्रेस मीडिया सेल शशांक शेखर सिंह, कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष योगेंद्र सिंह बंटी बना समेत कई नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ली।
लक्ष्य पाने को हर दांव आजमा रही भाजपा
वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटैरिया का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी ने इस बार 370 प्लस सीटों का ऐसा लक्ष्य तय किया है, जो असंभव सा दिखता है। अभी तक इंदिरा गांधी की मौत के बाद सहानभुति लहर में कांग्रेस को 400 से ज्यादा सीटें मिली थीं। अब उस असंभव को संभव बनाने के लिए भाजपा हर तरीका और दांव पेच आजमा रही है। भाजपा कांग्रेस के हर छोटे बड़े नेता को इसलिए ले रही है जिससे कांग्रेस के प्रति मतदाताओं में अविश्वास पैदा हो। वे भाजपा को वोट कर और उनके लक्ष्य को साधने में मददगार बनें। कांग्रेस से भाजपा में आने वाले ज्यादातर नेताओं की उपयोगिता सिर्फ इस लोकसभा चुनाव तक है। यह इससे भी साबित होता है कि पार्टी में आए किसी भी नए नेता को लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया।
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