भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सरकारी अस्पतालों (government hospitals) के 10 हजार से अधिक डॉक्टर्स (more than 10 thousand doctors) बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल (indefinite strike) पर रहेंगे। उन्होंने इमरजेंसी सेवा, पोस्टमार्टम भी नहीं करने की चेतावनी दी है। इससे अस्पतालों में व्यवस्थाएं बहुत ज्यादा प्रभावित होने की संभावना है।
दरअसल, चिकित्सक महासंघ के पदाधिकारियों की मंगलवार को गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी सहित अधिकारियों के साथ बैठक हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकला। आंदोलन को देखते हुए स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने वैकल्पिक व्यवस्था की है। इस दौरान निजी मेडिकल कालेज और नर्सिंग होम्स की मदद ली जाएगी। जरूरत पर सरकारी मेडिकल कालेजों से संबद्ध अस्पतालों के गंभीर रोगियों को निजी मेडिकल कालेजों में भेजा जाएगा।
बता दें कि चिकित्सक महासंघ की सबसे प्रमुख मांग डायनमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेसिव स्कीम (डीएसीपी) है। इसके अंतर्गत डॉक्टर्स को तय समय पर एक वेतनमान देने की मांग है। प्रदेश में पहली बार स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा विभाग के डाक्टरों के अलावा जूनियर डॉक्टर्स भी हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। इससे सबसे ज्यादा दिक्कत गंभीर रोगियों को होगी।
यह हैं प्रमुख मांगें
केंद्र सरकार, बिहार एवं अन्य राज्यों की तरह प्रदेश के चिकित्सकों हेतु डीएसीपी का प्रविधान। इससे राज्य सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी नहीं आएगा। स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं बीमा अस्पताल (ईएसआइ) की विसंगतियां दूर हों। चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप खत्म किया जाए। -राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा चिकित्सकों (एमबीबीएस) की मप्र लोक सेवा आयोग के माध्यम से की जाने चयन प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जाए। एमबीबीएस के बाद ग्रामीण सेवा बांड राशि व शिक्षण शुल्क जो कि देश में सर्वाधिक है को कम किया जाए। विभाग में कार्यरत समस्त बंधपत्र चिकित्सकों का वेतन समकक्ष संविदा चिकित्सकों के समतुल्य करना।
चिकित्सा शिक्षा। आयुक्त जान किंग्सले का कहना है कि सरकारी सेवा में रहते हुए पीजी के लिए आने वाले जूनियर डॉक्टर, इंटर्न डॉक्टर काम करेंगे। निजी मेडिकल कालेज के डॉक्टरों को बुलाया जाएगा। आवश्यकता के अनुसार रोगियों को निजी मेडिकल कालेजों में भी भेजेंगे। नर्सिंग होम्स की सेवाएं ली जाएंगी। बंधपत्र वाले चिकित्सकों ने आंदोलन किया तो उनकी बंधपत्र की अवधि अधूरी मानी जाएगी।
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