भोपाल: मध्यप्रदेश (MP) में सड़क दुर्घटनाओं (Road Accidents) के बढ़ते मामलों को देखते हुए, राज्य सरकार (state government) ने लगभग 10 लाख (10 Lakh) आवारा गो-वंश (stray cattle) को सड़क से हटाने के लिए केंद्र (center) से मदद मांगी है। इसके तहत, राष्ट्रीय राजमार्गों के पास गो-वंश वन्य विहार (गोसदन) बनाने की योजना बनाई गई है।
गो-सदन योजना के बारे में
पहले चरण में, प्रदेश के लगभग एक दर्जन जिलों में 500 से 1000 एकड़ भूमि पर गोवंश वन्य विहार (गोसदन) बनाने की प्रस्तावित योजना है। प्रत्येक गोसदन के निर्माण पर लगभग 15 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च आएगा। पशुपालन एवं डेयरी मंत्री लखन पटेल इस परियोजना के लिए पहले ही दो बार दिल्ली की यात्रा कर चुके हैं। यह योजना अविभाजित मध्यप्रदेश में पहले लागू थी, लेकिन बाद में बंद कर दी गई थी। रायसेन और मंदसौर जिलों में इस योजना की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
एक गोवंश वन्य विहार में लगभग 5000 गोवंश रखे जाएंगे। इन विहारों को चारों ओर से फेंसिंग कर सुरक्षित किया जाएगा। यहाँ घास उगाई जाएगी, ताकि पशु चारण कर सकें, और चिकित्सा की भी व्यवस्था होगी।
एक गोवंश वन्य विहार की फेंसिंग और चारा की व्यवस्था पर लगभग 15 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। कुल मिलाकर, इस प्रस्तावित परियोजना पर 150 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आ सकता है।
गोवंश वन्य विहारों के निर्माण के लिए सीहोर, शिवपुरी, जबलपुर, सागर, टीकमगढ़, पन्ना, रीवा, खरगोन, और बालाघाट जिलों को चिन्हित किया गया है। बैतूल, छिंदवाड़ा और सिवनी के लिए भी प्रस्ताव है। कुछ राशि मंदसौर और टीकमगढ़ के लिए मंजूर की जा चुकी है। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 2000 गोशालाएं हैं, जबकि 10 लाख मवेशी सड़कों पर घूम रहे हैं।
अखिलेश्वरानंद गौ-संवर्धन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश्वरानंद गिरी का कहना है कि आवारा मवेशियों की समस्या का समाधान इस परियोजना के माध्यम से संभव है। उन्होंने सुझाव दिया था कि जिन-जिन जिलों में गो-सदन बनाने की सिफारिश की गई थी, सरकार ने उन जिलों को ही प्रस्तावित किया है।
अविभाजित मध्यप्रदेश में वर्ष 2000 तक 10 गो-सदन संचालित होते थे, जिनके पास 7200 एकड़ चरनोई भूमि थी। छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद यह व्यवस्था बंद कर दी गई थी।
पशुपालन एवं डेयरी मंत्री लखन पटेल ने कहा, “सड़कों पर घूम रहे गोवंश को शिफ्ट करने के लिए हम राजमार्गों के आसपास गो-वंश वन्य विहार बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं। इसके लिए हमने केंद्र सरकार से मदद की मांग की है।”
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