भोपाल। अहमदाबाद के सीरियल ब्लास्ट केस (Ahmedabad serial blast case) में जिन 38 लोगों को फांसी की सजा (38 people sentenced to death) दी गई, उनमें शामिल सफदर नागौरी उज्जैन का रहने वाला है। वह पत्रकारिता की डिग्री लेने के बाद सिमी की गतिविधियों के प्रचार प्रसार करने वाली पत्रिका तहरीर का संपादक भी रहा और उसने कश्मीर समस्या को लेकर एक शोध पत्र भी लिखा था। वह अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के मास्टरमाइंड में से एक है।
उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील के नागौरी गांव का सफदर नागौरी 51 साल का है जिसने विक्रम यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की डिग्री ली। यहीं उसने कश्मीर समस्या को लेकर शोध पत्र तैयार किया था, जिसका शीर्षक था बर्फ की आग कब बुझेगी। इस शोध पत्र में कश्मीर की समस्या और लोकतंत्र को लेकर कई उत्तेजक विचार लिखे गए थे। पत्रकारिता की डिग्री लेने के बाद सफदर नागौरी ने विवादित बाबरी ढांचे के विध्वंस के बाद सिमी संगठन से अपने संबंध जोड़ लिए थे।
प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया
सफदर नागौरी के कट्टरवादी सोच के कारण उसे सिमी संगठन ने मध्य प्रदेश की कमान सौंपी थी। हालांकि दिग्विजय सरकार के समय सिमी पर प्रतिबंध लगा दिए जाने पर वह अंडरग्राउंड हो गया था। मगर उसकी गतिविधियां जारी रही थीं। सफदर 1993 में सिमी का सदस्य बना था और उसके खिलाफ पहला केस 1997 में उज्जैन के महाकाल पुलिस थाने में दर्ज हुआ। 1998 में इंदौर में केस हुआ। 2005 से 2007 के बीच वह काफी एक्टिव रहा। मस्जिदों में भड़काऊ भाषण देता रहा। उज्जैन के महाकाल, खारकुंवा और माधवनगर थाने में कई अपराध दर्ज हैं। प्रतिबंध के बाद उज्जैन के तोपखाना क्षेत्र में सिमी के कार्यालय से महाकाल थाना पुलिस ने विवादित साहित्य और भड़काऊ पोस्टर बरामद किए थे।
सफदर के पिता पुलिस में एएसआई रहे
सफदर नागौरी की पारिवारिक पृष्ठभूमि कट्टरवादी नहीं रही और उनके पिता पुलिस में एएसआई रहे थे। वे उज्जैन जिले में क्राइम ब्रांच में पदस्थ रहे थे। सफदर के अलावा अहमदाबाद ब्लास्ट में फांसी की सजा पाने वाले दोषियों में कमरुद्दीन नागौरी व आमिल परवेज भी शामिल हैं।
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