भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में मंगलवार को सूर्य ग्रहण के दौरान कई शहरों में जनजीवन थम सा (life has come to a standstill) गया। उज्जैन के महाकाल मंदिर (Mahakal Temple of Ujjain) को छोड़कर बाकी सभी मंदिरों के पट बंद रहे। शाम 4.42 बजे से 5.38 बजे तक इस खगोलीय घटना (celestial event) के दौरान चांद ने सूरज के करीब 32 फीसदी हिस्से को ढंक लिया। शाम को ग्रहण खत्म होते ही नदी और तालाबों के तटों पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हुआ, जो देर रात तक जारी रहा। श्रद्धालु मां नर्मदा में स्नान कर पूजा-पाठ किया।
इधर, भोपाल के रीजनल साइंस सेंटर में बड़ी संख्या में लोग सूर्य ग्रहण की घटना को देखने के लिए पहुंचे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय भी इस खगोलीय घटना को देखने रीजनल साइंस सेंटर पहुंचे। वैज्ञानिक ने उन्हें बिस्किट देते हुए कहा कि आप साइंटिफिक खगोलीय घटना को मानें और बिस्किट खाकर मिथक तोड़ें। लेकिन कार्तिकेय ने बिस्किट नहीं खाया।
जब उनसे इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की व्यक्तिगत आस्था होती है। हमारे देश में इस आस्था को लोग अलग-अलग ढंग से मनाते हैं। उसका भी सम्मान होना चाहिए। विज्ञान अपनी जगह है, आस्था अपनी जगह है। इसमें मैं कोई मैसेज नहीं देना चाहता। जो बिस्किट खाना चाहे खाए। मेरी अपनी आस्था है। दरअसल, धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्यग्रहण के दौरान खाना-पीना वर्जित रहता है।
उज्जैन की वेधशाला में भी भीड़ रही। सूर्य ग्रहण के दौरान उज्जैन महाकाल मंदिर में दर्शन जारी रहे। महाकाल मंदिर पट कभी बंद नहीं होते हैं। ग्रहण के बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया गया। ग्रहण का सूतक लगने से गोवर्धन पूजा भी नहीं हुई। उल्लेखनीय है कि 27 साल बाद दिवाली के दूसरे दिन सूर्य ग्रहण हुआ। यह इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण है। इससे पहले यह खगोलीय घटना 24 अक्टूबर 1995 को दिवाली के दूसरे दिन हुई थी।
अमावस्या पर अमूमन नर्मदा तटों पर सुबह से बड़ी संख्या में लोग स्नान-दान करते हैं, लेकिन मंगलवार को अमावस्या के बाद भी ग्रहण की वजह से नर्मदापुरम में लोग सुबह से स्नान करने नहीं आए। शाम को ग्रहण खत्म होते ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हुआ। श्रद्धालुओं मां नर्मदा में स्नान कर पूजा-पाठ किया।
दरअसल, ग्रहण के समय नदी सरोवर में स्नान करने का एक विशेष महत्व होता है। ग्रहण के पर्व काल में सोना खाना-पीना और तेल लगाने पर निषेध रहता है। ग्रहण काल में लोग स्नान करके अपने इष्टदेव का ध्यान जप करते हैं। जबलपुर में भी ग्रहण खत्म होने के बाद लोग नर्मदा नदी के ग्वारीघाट में स्नान करने पहुंचे और स्नान के बाद भगवान का ध्यान किया। लोगों ने नर्मदा नदी में स्नान कर पूजा अर्चना की। इस दौरान कई स्थानों पर अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार मंदिरों के बाहर भजन कीर्तन भी किए गए। (एजेंसी, हि.स.)
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