विपरीत मौसम, कम पानी एवं अधिक तापमान में भी अच्छा उत्पादन देगी, चपाती के लिए अति उत्तम होगी
जबलपुर। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (जेएनएयू) जबलपुर (Jawaharlal Nehru Agricultural University (JNAU) Jabalpur) के वैज्ञानिकों ने गेहूं की नई किस्म (new variety of wheat) विकसित करने में बड़ी सफलता हासिल की है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने इस किस्म को अनुमोदित कर दिया है, जिसे देशभर के किसान अब उगा सकेंगे।
जेएनएयू के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार बिसेन ने शनिवार को बताया कि गेहूँ कि यह नवीन किस्म एम.पी. 1358 मौसम के बदलते वातावरण और कम पानी एवं अधिक तापमान में भी बहुत अच्छा उत्पादन देगी साथ ही चपाती के लिए अति उत्तम होगी।
उन्होंने बताया कि भारतीय समन्वित गेहूँ एवं जौ सुधार परियोजना करनाल (आई.सी.ए.आर.) की सम्पन्न 60वीं वार्षिक बैठक में देश-विदेश के गेहूँ अनुसंधान से जुडे़ ख्यातिलब्ध वैज्ञानिकों के सम्मेलन में इस किस्म को अनुमोदित किया गया है।
विश्वविद्यालय के गेहूँ अनुसंधान के प्रमुख वैज्ञानिक, डॉ. आर. एस. शुक्ला. ने बताया कि अबतक विश्वविद्यालय द्वारा विकसित गेहूँ की कुल 54 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया जा चुका है। इन किस्मों को देश एवं विदेश में उगाया जा रहा है। देश-प्रदेश के किसान लाभान्वित हो रहे हैं। मध्यप्रदेश में गेहूँ कि खेती प्रमुखता से होती है। राष्ट्र के कृषि विकास में मध्यप्रदेश का प्रमुख योगदान है। गुणवत्ता की दृष्टि से मध्यप्रदेश का गेहूँ सर्वोच्च माना जाता है। उल्लेखनीय है कि उच्च जस्ता एवं आयरन जैसी बायोफोर्टीफाइड गेहूँ की किस्में तथा कम पानी एवं उच्च तापमान को सहने वाली आधुनिक किस्मों का विकास विश्वविद्यालय द्वारा किया गया है। (एजेंसी, हि.स.)
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