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    उप्र को एक बूंद ज्यादा पानी देने को तैयार नहीं मप्र

  • November 07, 2020

    • केन-बेतवा परियोजना:नहीं झुका मप्र, मुख्यमंत्री ने कहा केंद्र सरकार के सामने मजबूती से रखेंगे पक्ष

    भोपाल। प्रदेश में बहुप्रतीक्षित केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर उप्र और मप्र के बीच जल बंटवारे को लेकर चल रहे विवाद का निपटारा अभी तक नहीं हुआ है। उप्र पूर्व में तय बंटवारे से ज्यादा पानी लेना चाहता है, लेकिन मप्र अपनी हिस्से का एक बूंद भी ज्यादा पानी देने को तैयार नहीं है। विवाद को निपटाने के लिए कोरोना काल में मप्र और उप्र के मंत्री एवं अधिकारी और भारत सरकार के जल संसाधन विभाग के अफसरों की वर्चुअल बैठक हो चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है। इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने परियोजना की समीक्षा में कहा है कि उप्र को रबी के लिए पूर्व में निर्धारित 700 मि घन मीटर पानी ही दिया जाएगा। इस मसले पर मप्र भारत सरकार के सामने मजबूती से पक्ष रखेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नदी जोड़ो अभियान परिकल्पना के अनुक्रम में बनाई गई बहुउद्देशीय केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना के गतिरोध को दूर कर, इसका कार्य शीघ्र प्रारंभ करवाया जाएगा। मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश के बीच सीजनल जल बंटवारे पर सहमति न बनने के कारण परियोजना में विलंब हो रहा है। मध्यप्रदेश ने उत्तरप्रदेश को परियोजना से अवर्षाकाल के महीनों में रबी फसल व पेयजल के लिए 700 मि.घ.मी. पानी देने पर पूर्व में सहमति दी थी, जिसके लिए हम आज भी तैयार हैं। इस संबंध में भारत सरकार के समक्ष मध्यप्रदेश का पक्ष मजबूती से रखा जाएगा।

    केंद्र सरकार ले रही है उप्र का पक्ष
    जल संसाधन विभाग मध्यप्रदेश द्वारा ड्राफ्ट एकजाई में उप्र को रबी सीजन में 700 मि.घ.मी. के स्थान पर 930 मि.घ.मी. जल का उपयोग दर्शाया गया है। जबकि मध्यप्रदेश का रबी सीजन में जल एवं कमांड क्षेत्र कम किया गया है, जो मध्यप्रदेश को मान्य नहीं है। मध्यप्रदेश द्वारा एकजाई डी.पी.आर., आपत्तियां इंगित करते हुए महानिदेशक एनडब्ल्यूडीए को प्रेषित की गई है। 23 अप्रैल 2018 को दिल्ली में हुई बैठक में मध्यप्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव उत्तरप्रदेश से प्रमुख सचिव ने भाग लिया, जिसमें मध्यप्रदेश द्वारा रबी सीजन में सिंचाई व पीने के पानी हेतु बांध से कुल 700 मि.घ.मी. पानी उत्तप्रदेश को आवंटित करने हेतु अपनी सहमति दी। लेकिन बैठक में कार्यवृत्त में उत्तरप्रदेश को 788 मि.घ.मी. पानी आबंटित किया गया, जिसके लिए मप्र ने अपने पत्र दिनांक 24 मई 2018 द्वारा असहमति व्यक्त की।

    केंद्रीय मंत्री से की बात
    मुख्यमंत्री चौहान ने बैठक में ही केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से परियोजना संबंधी गतिरोध शीघ्र दूर करने सबंधी आग्रह किया। इस संबंध में आगामी सप्ताह में उनके साथ बैठक प्रस्तावित की गई। संभवत मुख्यमंत्री दीपावली बाद दिल्ली जाकर केन बेतवा परियोजना को लेकर मुलाकात करेंगे। जिसमें उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो सकते हैं।

    11 साल से अटकी है परियोजना
    वर्ष 2009 में भारत सरकार द्वारा केन-बेतवा लिंक बहुउद्देशीय परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया एवं इसके वित्त पोषण हेतु 90:10 अनुपात में केन्द्र एवं संबंधित राज्यों के मध्य आधार सुनिश्चित किया गया। परियोजना म.प्र. के छतरपुर/पन्ना जिले में स्थित है। परियोजना के क्रियान्वयन से होने वाली संपूर्ण क्षति जैसे- भूमि अधिग्रहण, जंगल क्षति, राजस्व भूमि की क्षति, प्रतिपूरक वनीकरण हेतु गैर वनभूमि की व्यवस्था, जनजातीय परिवारों का विस्थापन एवं पुनर्वास इत्यादि मध्यप्रदेश द्वारा वहन की जा रही है। राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण द्वारा परियोजना की ड्राफ्ट एकजाई डी.पी.आर. (प्रथम चरण + द्वितीय चरण) अक्टूबर 2018 में तैयार की गई। ड्राफ्ट एकजाई डी.पी.आर. की कुल लागत लगभग 35111.24 करोड़ आंकलित की गई।

    उप्र ने मांगा 700 की जगह 930 मि घन मी पानी
    दिनांक 20 जुलाई 2020 को नई दिल्ली में सचिव, जल संसाधन की अध्यक्षता में बैठक आहूत की गई। बैठक में उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा रबी सीजन में सिंचाई एवं पीने के पानी की फिर मांग बढ़ाकर 930 मि.घ.मी. आबंटन हेतु अनुरोध किया गया। सचिव, जल संसाधन भारत सरकार द्वारा सीजनल (नवंबर से मई) जल की आवश्यकता की तर्कसंगतता की जांच करने हेतु राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण को निर्देशित किया गया कि वह राज्यों में जाकर रबी सीजन में जल की आवश्यकता की जांच कर अगली बैठक में प्रस्तुत करें।

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