भोपाल। मप्र में एक तरफ सरकार माफिया (Government mafia), अतिक्रमणकारियों, अपराधियों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई कर रही है, वहीं दूसरी तरफ वन भूमि पर तेजी से अतिक्रमण किया जा रहा है। इसका खुलासा हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण (Central environment) एवं वन मंत्रालय (Forest ministry) की रिपोर्ट (Report) में हुआ है। इस रिपोर्ट (Report) के अनुसार वन भूमि पर अवैध कब्जा करने में MP देश में नंबर-1 है। जानकारी के अनुसार देश भर में 12.81 लाख हेक्टेयर भूमि पर कब्जा है। इसमें मप्र में सबसे अधिक 5.34 लाख हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण है। वहीं असम में 3.17 लाख हेक्टेयर भूमि, ओडिशा में 78 हजार, महाराष्ट्र में 60 हजार, अरुणाचल प्रदेश में 58 हजार, गुजरात में 34 हजार, कर्नाटक में 28 हजार हेक्टेयर से अधिक वन भूमि पर कब्जा है।
करोड़ों खर्च के बावजूद कब्जा
मंच के प्रांतीय संयोजक मनीष शर्मा ने बताया कि मप्र वन विभाग द्वारा वनों की सुरक्षा के लिए 2014 से 2017 के बीच 20 करोड़ रुपए खर्च हुए। वहीं 2017 से 2021 के बीच में भी 30 करोड़ से अधिक का खर्च हो चुका है। वनों में गश्त के लिए वाहनों की खरीदी पर ही विभाग 18 करोड़ खर्च कर चुका है। वहीं सवा करोड़ रुपए रिवाल्वर की खरीदी पर किया गया है। बावजूद वनों की भूमि पर कब्जा नहीं हटाया जा सका।
न्यायालय की अवमानना, लगाएंगे याचिका
मनीष शर्मा के मुताबिक ये न्यायालय की अवमानना है। 2016-17 में वनों में अग्नि और अतिक्रमण को लेकर एक जनहित याचिका लगाई गई थी। इस पर हाईकोर्ट ने वन विभाग को विस्तृत दिशा-निर्देश दिए थे। पर उसका पालन नहीं किया जा रहा है। वन भूमि पर कब्जा इसका सबूत है। उन्होंने कहा कि न्यायालय की अवमानना पर याचिका लगाएंगे।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सख्ती नहीं
सूत्रों के अनुसार प्रदेश में वन भूमि पर अतिक्रमण सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। माफिया, सफेदपोश और वन विभाग की मिलीभगत से अतिक्रमण किया जा रहा है। वन भूमि पर अतिक्रमण को गंभीरता से लेते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने वन विभाग को सख्त कदम उठाने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है। इस मामले में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने वन मंत्री और प्रमुख सचिव वन विभाग को पत्र लिखकर ठोस कार्रवाई की मांग की है। मंच ने इसे कोर्ट की अवमानना बता कर न्यायालय में प्रकरण उठाने की बात कही है।
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