भोपाल। मप्र (MP) में अनलॉक (Unlock) होते ही बिजली की मांग बढ़ गई है। लेकिन प्रदेश के सरकारी प्लांट (Government Plant) बंद पड़े हैं और सरकार निजी कंपनियों (Government Private Companies) से महंगी बिजली खरीदकर सप्लाई कर रही है। इससे सरकार को बड़ी चपत लग रही है। लेकिन जिम्मेदार कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। जानकारी के अनुसार, प्रदेश में सरकारी प्लांटों को बंद रखा गया है। वजह है कोयले की कमी या तकनीकी खराबी। ऐसे में महंगे दाम पर निजी पावर प्लांटों (Private Power Plants) से बिजली खरीदकर प्रदेश को रोशन किया जा रहा है। 16 थर्मल पावर प्लांटों (Thermal Power Plants) में से महज आठ प्लांटों से ही बिजली उत्पादन हो रहा है, वो भी बेहद कम। कुल 5400 मेगावाट क्षमता वाले प्लांटों में सिर्फ 1450 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है।
बिजली के लिए खरीदी करार मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी (MP Power Management Company) करती है। मप्र पावर जनरेशन कंपनी (MP Power Generation Company) के प्लांट सालभर से ज्यादा वक्त से औसत बिजली उत्पादन कर रहे हैं। ऐसे में बिजली की किल्लत तो नहीं हो रही है, लेकिन निजी प्लांट (Private Plant) से महंगी दर पर ये खरीदी करनी पड़ रही है। इसका सीधा असर आम जनता पर आएगा। उन्हें महंगी बिजली (Expensive Electricity) खरीदनी पड़ेगी।
सालभर से बंद प्लांट
श्री सिंगाजी पावर प्लांट की एक यूनिट पिछले साल सितंबर से बंद चल रही है। वहीं सारणी की चार यूनिट लंबे समय से बंद है। अमरकंटक और बिरसिंहपुर प्लांट में 10-10 दिन और सारणी में पांच दिन एवं संत श्री सिंगाजी प्लांट में महज सात दिन का कोयला है। कुल सवा पांच लाख मीट्रिक टन कोयला स्टाक है जबकि हर दिन की कोयला खपत 52 हजार मीट्रिक टन है।
यह स्थिति है सरकारी प्लांट की
सारणी पावर प्लांट में 200 मेगावाट की एक और 210 मेगावाट की तीन इकाइयां बंद हैं। कुल क्षमता 1330 मेगावाट के विपरीत महज 323 मेगावट बिजली पैदा हो रही। वहीं बिरसिंहपुर में 5 इकाइयां हैं जिसमें 1340 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है। इसमें दो इकाइयां बंद हैं। तीन इकाइयों में महज 604 मेगावाट बिजली का उत्पादन। अमरकंटक पावर प्लांट में 210 मेगावाट की एक इकाई है जिसमें 125 मेगावाट बिजली का उत्पादन। वहीं संत सिंगाजी पावर प्लांट में चार इकाइयां हैं जिसकी क्षमता 2520 मेगावाट है। इसमें तीन बंद है। सिर्फ एक से 346 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है।
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