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    MP: मंदिर ट्रस्ट की जांच में निकला लाखों का हेर फेर, पदाधिकारियों पर 70 लाख गबन का आरोप

  • November 30, 2024

    दमोह। दमोह शहर (Damoh City) के सबसे बड़े देवश्री जानकी रमणजी बूंदाबहू मंदिर (Devashree Janaki Ramanji Bundabahu Temple) ट्रस्ट (Trust) के लेखा-जोखा (Statement of Account) की जांच में हेर फेर सामने आया है। शनिवार को मंदिर के पुजारी और सकल हिंदू समाज के लोगों ने पत्रकारवार्ता में आरोप लगाते हुए 70 लाख रुपये (Rs 70 lakh) के गबन (Fraud) की बात कही है। उन्होंने कहा, एसडीएम ने जांच में गंभीर गड़बड़ी पकड़ी है, जिसके बाद से ट्रस्ट के पदाधिकारी, आमंत्रित सदस्य और कर्मचरियों की भूमिका संदिग्ध के घेरे में आ गई है।

    उन्होंने कहा, प्राथमिक रूप से मंदिर ट्रस्ट के पांच साल के लेन-देने में गंभीर वित्तीय गड़बड़ी मिली हैं। ट्रस्ट ने रोकड़ बुक में 79 लाख 22 हजार रुपये जमा होने का उल्लेख किया है। लेकिन बैंक के स्टेटमेंट में यह राशि घटकर आठ लाख 23 हजार 600 रुपये मिली है। यानी जितनी राशि रोकड़ बुक में दर्ज होना बताया है, बैंक तक उतनी राशि पहुंची ही नहीं। 70 लाख 98 हजार 400 रुपये की राशि का बड़ा अंतर सामने आया है। इसका कोई हिसाब नहीं मिल रहा है। मंदिर ट्रस्ट की संदिग्ध गतिविधियों को लेकर पंडित चंद्र गोपाल पौराणिक ने एसडीएम कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने ट्रस्ट पदाधिकारियों द्वारा बायलाज में हेराफेरी करके अपने पारिवारिक सदस्यों को लाभ पहुंचाने, वित्तीय लेन-देन, जमीन खरीदी का भुगतान और मूर्ति निर्माण में लागत से ज्यादा भुगतान होने की बात कही थी। जब इस मामले की जांच करने के लिए एसडीएम ने टीम गठित की तो गंभीर गड़बड़ी सामने आई।


    पौराणिक ने बताया कि चार साल पहले मंदिर में निर्माण के नाम पर भगवान राम का दरवार तोड़ दिया गया, उसकी जगह पर लकड़ी का तखत रखकर भगवान की प्रतिमा रख दी गई। चार साल गुजरने के बाद भी भगवान तखत पर बैठे हैं, ट्रस्ट के पदाधिकारी मंदिर नहीं बना पाए, जबकि एक करोड़ 20 लाख रुपये की राशि खर्च हो चुकी है। पहली जांच में ट्रस्ट के खाते में जमा की गई राशि के स्टेटमेंट और रोकड़ पुस्तक में दर्ज राशि में काफी अंतर है। रोकड़ पुस्तक में 79 लाख 22 हजार रुपये की राशि दर्ज है। जबकि बैंक स्टेटमेंट में यह राशि घटकर आठ लाख 23 हजार छह सौ रुपये दर्ज है। इन दोनों में 70 लाख 98 हजार 400 रुपये की राशि का अंतर है। इससे साफ होता है कि ट्रस्ट के पदाधिकारियों और कर्मचारियों ने छल किया है। इसी तरह मंदिर के ऊपर मूर्तियों के निर्माण में भी हेरा फेरी हुई है। मूर्ति बनाने वाली एजेंसी को एक करोड़ 20 लाख रुपये की राशि दी गई है। जबकि मूर्तियां इतनी राशि की नहीं है। इसमें भी निर्माण एजेंसी और ट्रस्ट के पदाधिकारियों के बीच में मिलीभगत हुई है।

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