भोपाल। शुद्ध हवा नहीं तो जीवन भी सुरक्षित नहीं, इसलिए हवा के लिए वनों का होना जरूरी है। वन जितना सघन होगा, वायु उतनी ही शुद्ध होगी। कोरोना महामारी (corona pandemic) के काल में मध्य प्रदेश अपने सघन वनों (Madhya Pradesh with its dense forests) के लिए खासी उपलब्धी हासिल करने वाला राज्य बन गया है। राज्य ने अति सघन वन क्षेत्र (dense forest area) में 2 लाख 43 हजार 700 हेक्टेयर की वृद्धि की है। वन क्षेत्र बढ़ने से जीव-जंतुओं के लिये हुई अनुकूल परिस्थिति निर्मित
कोरोना महामारी ने जहां एक ओर मनुष्य जीवन को बुरी तरह तोड़कर रख दिया, वहीं प्राकृतिक स्तर पर मानव संसाधनों की आवाजाही रुकने एवं सरकार के लगातार किए गए प्रबंधनों से जल, जंगल और जमीन में शुद्धता आई है। इस बीच मध्य प्रदेश भी अपने सघन वनों के लिए खासी उपलब्धी हासिल करने वाला राज्य बन गया है। प्रदेश में वन्य जीवों की बढ़ती संख्या के साथ ही अति सघन वन क्षेत्र में भी बढ़ोतरी हो गई है। जिसका ताजा प्रभाव यह है कि बढ़ते वन क्षेत्र जीव-जंतुओं के लिये अनुकूल परिस्थितियां निर्मित कर रहे हैं।
वन क्षेत्र के साथ राजस्व भूमि में भी लगाए गए पौधे
राज्य के विंध्य क्षेत्र में हरियाली का दायरा तेजी के बढ़ा है। पूरे क्षेत्र में इस वन भूमि के साथ ही राजस्व भूमि में भी बड़ी संख्या में पौधे लगाए गए, लॉकडाउन के समय में भी यह कार्य लगातार किया जाता रहा है। जिसका सुखद वर्तमान आज सभी के सामने है।
यहां पहले की तुलना में कई गुना अधिक हरियाली हो गई है। वन विभाग के आंकड़े कहते हैं कि अकेले पन्ना जिले में करीब 75 प्रतिशत से अधिक फॉरेस्ट कवर बढ़ा है। इसके अलावा राज्य में रीवा, सतना, सीधी, शहडोल और अनूपपुर में सघन वन क्षेत्र का दायरा बढ़ा है। कुल आंकड़े यही बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश में अति सघन वन क्षेत्र में 2 लाख 43 हजार 700 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।
बनाई गई 15,604 वन समितियां
इस संबंध में बताया जा रहा है कि यह वृद्धि यहां ऐसे ही संभव नहीं हो गई है, इसके लिए राज्य में संयुक्त वन प्रबंधन की विचारधारा को अपनाया गया। संयुक्त वन प्रबंधन में 10,141 ग्राम वन समिति, 4,419 वन सुरक्षा समिति और 1,044 ईको विकास समिति गठित की गई हैं। वन समितियों की कुल संख्या 15,604 है।
इनके माध्यम से 79,705 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्रों का प्रबंधन किया जा रहा है। वन समितियों में 33 प्रतिशत महिलाओं की सदस्यता आरक्षण के साथ ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद में एक महिला की नियुक्ति अनिवार्य कर महिला सशक्तिकरण को प्रभावी बनाया गया है।
पुरस्कारों के नए नावाचार भी हुए शुरू
इसी के साथ वन संरक्षण तथा वन संवर्धन के प्रयासों में जन-भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बसामन मामा स्मृति वन एवं वन्य-प्राणी संरक्षण योजना चालू है। इसके अलावा वन रक्षा एवं संवर्धन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली संस्थाओं और व्यक्तियों को ‘शहीद अमृता देवी विश्नोई’ पुरस्कार से नवाजा जा रहा है।
मंत्री वन विभाग कुंवर विजय शाह ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि विभाग वनों की सुरक्षा और अवैध कटाई को सख्ती से रोकने में जुटा हुआ है। वन अपराधों की गोपनीय सूचनाओं के लिए मुखबिर तन्त्र को प्रभावी बनाया गया है। वन्य-प्राणी संरक्षित क्षेत्रों में 1,490 वायरलेस-सेट की लायसेंस को मंजूरी दी गई है। वन सुरक्षा में संयुक्त वन प्रबंधन समितियों का उपयोग भी किया जा रहा है।
वनों में हुई सशस्त्र बल की तीन कंपनियां तैनात
इसके साथ ही सरकार ने यहां पर संवेदनशील क्षेत्रों में 329 वन चौकी, चार जल चौकी, 387 बैरियर और 53 अंतरराष्ट्रीय बैरियर के माध्यम से सुरक्षा और निगरानी की जा रही है। इसके अलावा मैदानी अमले को 12 बोर की 2,600 नई पंप एक्शन बन्दूक, 900 वायना कुलर, साढ़े पांच हजार मोबाइल सिम और वन क्षेत्र वालों को 286 रिवाल्वर उपलब्ध कराए गए हैं। साथ ही विशेष सशस्त्र बल की तीन कंपनी भी तैनात रहती है।
वनों पर आश्रित परिवारों का सुधारा जा रहा जीवन-स्तर
मंत्री शाह कहते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में वन विभाग, वन और वन्य-प्राणियों की सुरक्षा तथा वनों के विस्तार में हम सफल हुए हैं। हम मध्य प्रदेश को वन आधारित गतिविधियों में देश में प्रथम स्थान पर लाने की ओर अग्रसर हैं। साथ ही वे कहते हैं कि वानिकी विकास की दिशा में अनेकानेक नीतिगत निर्णय लगातार लिए जा रहे हैं, जिसके फलस्वरूप वन और वन्य-प्राणियों के बेहत्तर प्रबंधन के साथ ही वनों पर आश्रित वनवासियों के जीवन-स्तर में सुधार हो रहा है।
बढ़ रही है बाघ, तेंदुआ और अन्य वन्य जीवों की संख्या
उन्होंने कहा कि यही कारण है जो देश में सबसे अधिक बाघ इसी प्रदेश में बढ़े हैं। तेंदुओं की संख्या के मामले में भी प्रदेश ने कर्नाटक और महाराष्ट्र को पीछे छोड़ दिया है। प्रदेश सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि प्रदेश का वन क्षेत्र लगातार बढ़ता रहे।
यही कारण है कि प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर मध्य प्रदेश में 94,689 वर्ग किलोमीटर (64,68,900 हेक्टेयर) कुल वन क्षेत्र हो गया है, जो राज्य के भू-भाग का 30.72 फीसदी और देश के कुल वन क्षेत्र का तकरीबन 12.38 फीसदी है।
कोरोना काल में कुल बढ़ा वन क्षेत्र 94,689 वर्ग किलोमीटर
यहां बता दें कि इससे पहले भारतीय वन सर्वेक्षण की रिर्पाट में भी बताया गया है कि साल 2005 में प्रदेश में अति सघन वन क्षेत्र 4,239 वर्ग किलोमीटर थे, जो 2019 में बढ़ कर 6,676 वर्ग किलोमीटर अर्थात 6 लाख 67 हजार 600 हेक्टेयर हो गया था। इसके बाद आज के समय में यह वर्ष 2021 की स्थिति में 94,689 वर्ग किलोमीटर यानी 64,68,900 हेक्टेयर से भी अधिक हो गया है।
इसके साथ ही बताना होगा कि मध्य प्रदेश का वन विभाग राज्य के नागरिकों को कोरोना से बचाने में अहम योगदान दे रहा है। विभाग ने प्रवासी मजदूरों की सहायता, फूड, राशन, बिस्किट, पीपीई किट, मास्क, दस्ताने, काढ़ा पैकेट, सेनिटरी पैकेट, ईधन की लकड़ी, आदि बांटने के साथ लोगों को निरंतर जागरूक भी किया जा रहा है।
वन कर्मी लगभग पांच हजार जागरूकता शिविरों में लोगों को कोरोना से बचाव के प्रति सतर्क कर चुके हैं। प्रशासन के साथ दो लाख 287 वन कर्मी कंट्रोल रूम और विभिन्न चेकपोस्ट पर ड्यूटी कर रहे हैं।
प्रदेश में वन विभाग की 171 नर्सरियों में छह करोड़ पौधे हैं। इनका रख-रखाव नियमित रूप से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए किया जा रहा है। इन नर्सरियों में काम करने वाले श्रमिकों और वन कर्मियों को नि:शुल्क मास्क, सेनिटाइजर, राशन आदि का वितरण भी किया जा रहा है।
विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के मैदानी क्षेत्र के कार्यों की निगरानी की जा रही है। सभी राष्ट्रीय उद्यानों और टाइगर रिजर्व में भी वन्य प्राणियों के स्वास्थ्य और गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।