बैतूल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल जिले (Betul district) के एक गांव में ग्राम देवता के दरबार में महाभोज (banquet) होता है. भोज भी ऐसा जिसमें करीब एक लाख लोग शामिल होते हैं. 7 गांव के लोग मिलकर इसका आयोजन करते हैं. भोजन रखने के लिए बर्तन कम पड़ जाते हैं इसलिए ट्रैक्टर ट्रॉलियों में भरकर पूड़ी (Filled the puri in tractor trolleys) रखी जाती हैं। खास बात ये है कि इस पूरे महाभोज में एक दाना भी वेस्ट नहीं होता है।
बैतूल की मुलताई तहसील के बड़खेड़ गांव मे पांढरया बाबा का दरबार है. मान्यता है कि ज़िले के सभी ग्राम देवताओं में पांढरया बाबा सबसे बड़े और प्रथम पूज्य हैं. इसलिए हर साल दत्तात्रेय जयंती के दूसरे दिन से अगले 24 घण्टे तक पांढरया बाबा की पूजा अर्चना और फिर महाभोज होता है।
इसमें भोज करने वालों की संख्या लगभग एक लाख तक पहुंच जाती है. सात गांवों के लोग मिलकर इस महाभोज का आयोजन करते हैं। भोजन कि मात्रा इतनी अधिक होती है कि गर्मागर्म पूड़ियाँ बर्तनों में नहीं बल्कि ट्रैक्टर ट्रॉलियों में रखनी पड़ती है. लगभग 100 से 150 क्विंटल सब्जी और इतनी ही खीर भी बनाई जाती है.
हैरत की बात ये है कि इस महाभोज में अन्न का एक दाना भी व्यर्थ नहीं जाता. इतना बड़ा महाभोज बेहद शांत माहौल में हो जाता है। करीब 6 ट्रैक्टर ट्रॉलियों में गर्मागर्म पूड़ी रखी जाती हैं. 25 बड़े गंज में 100 से 150 क्विंटल सब्जी और इतनी ही मात्रा में खीर बनायी जाती है. 100 से 150 लोग मिलकर इतने लोगों के लिए खाना तैयार करते हैं. ये सब उस महाभोज के लिए होता है जहां भोजन प्रसादी लेने के लिए 24 घण्टे के दौरान लगभग एक लाख लोग आते हैं।
पांढरया बाबा के दरबार मे होने वाले इस महाभोज की तैयारी दो महीने पहले से शुरू होती है. सात से आठ गांवों के लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार भोजन सामग्री और नगद दान देते हैं। बड़खेड़ गांव के लोग पूरे दो दिन तक महाभोज में आने वाले लोगों के स्वागत की तैयारी करते हैं। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के कई जिलों से श्रद्धालु इस महाभोज में शामिल होते हैं।
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