डिंडौरी। मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) के आदिवासी बहुल डिंडौरी (Dindori) जिले में एक सरपंच (Sarpanch) का तुगलकी फरमान सामने आया है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक ग्रामीण ने सरपंच (Sarpanch) की सीएम हेल्पलाइन (CM HelpLine) पर शिकायत की थी. लेकिन यह शिकायत करना उसे महंगा पड़ गया. ग्राम पंचायत की महिला सरपंच (Sarpanch) ने सीएम हेल्पलाइन (CM HelpLine) में शिकायत करने वाले ग्रामीण के राशन एवं मजदूरी पर रोक (Ban on ration and wages) लगाने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया है.
दरअसल, जिला मुख्यालय से लगे हिनौता ग्राम पंचायत निवासी शंकर बनवासी के खेत में आठ महीने पहले रोजगार गारंटी योजना के तहत ग्राम पंचायत के द्वारा कूप निर्माण का काम शुरू हुआ था. लेकिन किसान के खेत में कूप को आधा अधूरा बनाकर ही छोड़ दिया गया.
कई महीनों बाद भी जब कूप का निर्माण का पंचायत के द्वारा नहीं कराया गया तो दो महीने पहले परेशान होकर शंकर के पुत्र नारायण ने इस बात की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में कर दी थी. लेकिन नारायण की समस्या का निराकरण करने के बजाय जनपद पंचायत के सीईओ गणेश पांडे किसान पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाने लगे. बाद में जब नारायण ने शिकायत वापस लेने से इंकार कर दिया तो ग्राम पंचायत की सरपंच कमला पूषाम ने नारायण को मिलने वाले सरकारी राशन एवं मनरेगा में मजदूरी करने पर रोक लगाने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया. सरपंच ने सरकारी राशन दुकान संचालक को बाकायदा पत्र लिखकर किसान नारायण को राशन न देने का आदेश जारी कर दिया. राशन और मनरेगा में मजदूरी नहीं मिलने से किसान परेशान हो गया. ऐसे में उसने अब मामले की शिकायत डिंडौरी जिले के कलेक्टर से की है. किसान कलेक्टर से न्याय की गुहार लगाई है. नारायण का कहना है की जनपद पंचायत के सीईओ गणेश पांडे उसे सीएम हेल्पलाइन से शिकायत वापस लेने के लिए धमका रहे हैं. इस मामले में जनपद पंचायत के सीईओ कैमरे के सामने कुछ भी कहने से बच रहे हैं. वहीं जनपद के उपाध्यक्ष एवं बीजेपी नेता सुशील राय ने ग्रामीण के राशन व मजदूरी पर रोक लगाने की कार्यवाई को गलत बताया है.