जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट (MP High Court) ने प्रदेशव्यापी अधिवक्ताओं (Statewide Advocates) की हड़ताल (Strike) को संज्ञान में लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका (Public interest litigation) के रूप में करने के आदेश दिये थे। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश के जिला व तहसील बार के आग्रह पर पेश करने अंतिम अवसर प्रदान किया है। युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 24 अप्रैल को निर्धारित की है।
गौरतलब है कि मार्च 2023 में अधिवक्ता अनिष्चितकालीन प्रदेशव्यापी हड़ताल पर चले गये थे। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई संज्ञान याचिका के रूप में करते हुए अधिवक्ताओं को तत्काल काम पर वापस लौटने के आदेश दिये है। हाईकोर्ट ने सर्वाेच्च न्यायालय तथा हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में पारित आदेश को हवाला देते हुए कहा है कि अधिवक्ता काम पर नहीं लौटते है तो इसे न्यायालय की अवमानना माना जायेगा।
आदेश का पालन नहीं करने वालों अधिवक्ताओं के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जायेगी और उनका निष्कासित किया जायेगा। हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिए कि आदेश की प्रति के साथ स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जबलपुर, इंदौर व ग्वालियर के अध्यक्ष, हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन जबलपुर के अध्यक्ष के अलावा प्रदेश भर के जिला तथा तहसील बार एसोसिएशन के अध्यक्षों को नोटिस जारी करें।
राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा कर दी
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि 25 प्रकरणों के निराकरण का आदेश तीन माह के लिए स्थगित कर दिया गया था। जिसकी सूचना ई-मेल के माध्यम से एसबीए को भेजी गयी थी। इसके बावजूद भी एसबीए के चेयरमैन ने राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा कर दी। इसके अलावा बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन ने भी 23 मार्च को स्टेट बार के चेयरमैन को पत्र लिखकर तत्काल हड़ताल वापस लेने के निर्देश दिए थे, जिसका पालन भी नहीं किया गया।
हाईकोर्ट ने बीसीआई को निर्देशित किया था कि आदेश के बावजूद भी काम पर नहीं लौटने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्यवाही कर न्यायालय को अवगत करवाये। याचिका की सुनवाई के दौरान जिला व तहसील बार एसोसिएशन ने जवाब पेष करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया। युगलपीठ ने आग्रह को स्वीकार करते हुए अंतिम अवसर प्रदान करते हुए अगली सुनवाई 24 अप्रैल को निर्धारित की है।
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