जबलपुर: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट (madhya pradesh high court) में पुलिस थानों में बने मंदिर हटाए जाने को लेकर याचिका लगाई गई थी, जिसकी सुवनाई में हाईकोर्ट ने याचिका खारिज (High court dismissed the petition) कर दी. इतना ही नहीं हाई कोर्ट टिप्पणी करते हुए कहा जब मामले में पहले ही निर्णय आ चुका है, तो फिर याचिका क्यों लगाई गई? बता दें 2009 में हाई कोर्ट सरकारी और सार्वजनिक स्थानों पर मंदिर निर्माण पर रोक लगा चुका है. याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से हस्तक्षेप याचिका लगाई गई थी.
पुलिस थानों में बने मंदिर मामले में हस्तक्षेप कर्ता ने साल 2009 की याचिका का हवाला देकर याचिकाकर्ता और उनके अधिवक्ता पर भी सवाल उठाए. हस्तक्षेप याचिका में इस तरह की याचिकाओं के जरिए समाज का वातावरण प्रदूषित होने और शांति भंग होने की दलील दी गई. मामले में सुप्रीम कोर्ट का भी स्पष्ट निर्देश था कि सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक स्ट्रक्चर नहीं बनाए जा सकते.
कोर्ट के आदेश का पालन करना सरकारी मशीनरी की जिम्मेदारी है. पिटीशनर चाहे तो अवमानना याचिका लगाकर पहल कर सकते हैं. एडवोकेट सतीश वर्मा ने थानों में मंदिर निर्माण को लेकर याचिका लगाई थी. याचिका में प्रदेश के 1259 में से करीब 800 थाना परिसरों में मंदिर और धार्मिक स्थल बनाए जाने को लेकर ऐतराज जताया गया था.
मध्य प्रदेश में आंकड़े देखेंगे तो पता चलता है कि कई ऐसे थाने हैं, जहां अंग्रेजों के समय से मंदिर बने हुए हैं. याचिका जबलपुर में लगी थी. वहीं की बात करें तो ही कोतवाली थाना परिसर में बना हनुमान मंदिर 150 साल पुराना बताया जाता है.यानि अंग्रेजों के समय का.
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