भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने राज्य सरकार और सूचना आयुक्त (State Government and Information Commissioner) को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पूछा है कि प्रदेश में सूचना के अधिकार से सवाल पूछने की सुविधा ऑनलाइन (facility online) क्यों उपलब्ध नहीं करवाई गई? हाईकोर्ट ने 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ (Ravi Vijay Kumar Malimath) तथा जस्टिस विशाल मिश्रा (Vishal Mishra) की युगलपीठ ने राज्य सरकार तथा प्रदेश राज्य सूचना आयोग को नोटिस जारी की जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।
मध्य प्रदेश लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट विशाल बघेल की तरफ से दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि संसद द्वारा 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सरकार से सवाल पूछने का हक दिया गया था। कानून में प्रावधान किया गया था कि आरटीआई एक्ट की धारा 6 के अनुसार कोई भी व्यक्ति एक लिखित आवेदन, ऑनलाइन अथवा अन्य युक्ति से प्रेषित कर सरकार से दस्तावेज या जानकारी मांग सकता है। इसके अलावा अधिनियम की धारा 7(1) में यह भी प्रावधान है कि अगर जानकारी किसी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ी हुई है तो वह 48 घंटे में प्रदान की जानी चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि इन प्रावधानों का पालन बगैर ऑनलाइन व्यवस्था किए संभव नहीं है। भारत सरकार ने वर्ष 2013 में आरटीआई पोर्टल बनाकर आवेदन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था दी है। केंद्रीय सूचना आयोग ने भी अपीलों एवं शिकायतों के लिए ऑनलाइन पोर्टल बनाया है। मध्यप्रदेश राज्य ने लंबे पत्राचार के बाद साल 2021 में ऑनलाइन पोर्टल है, परंतु उसमें सभी विभागों और शासकीय कार्यलयों को जोड़ा नहीं गया है। इससे नागरिक ऑनलाइन आवेदन की सुविधा से वंचित हैं। मध्य राज्य सूचना आयोग के वेब पोर्टल में आरटीआई अधिनियम के अंतर्गत अपील व शिकायत प्रस्तुत करने की ऑनलाइन सुविधा नहीं है। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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