इंदौर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में दूध (Milk) और दूध से बने उत्पादों की मिलावट (Adulteration) के मामले में हाई कोर्ट (High Court) ने सख्त रुख अपनाया है. चीफ जस्टिस (chief Justice) रवि मलिमठ ने फूड विभाग (food department) की कार्रवाई पर नाराजगी जताई है. ग्वालियर बेंच (Gwalior Bench) में दाखिल एक अवमानना याचिका (contempt petition) पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि पेनल्टी लगाकर पैसे जमा करने से बात नहीं बनेगी, हम ये जानना चाहते है कि ऐसे लोगों को सजा क्यों नहीं दी जा रही?
इस दौरान शासन की ओर से हाईकोर्ट में बताया गया कि 25.22 करोड़ रुपये की पेनल्टी लगाई गई. इसके अलावा 6 लोगों को जेएमएफसी कोर्ट ने सजा दी है. इस पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी दिखाते हुए कहा कि, “आप लोग कलेक्टिंग एजेंट हैं क्या? ऐसे लोगों को सलाखों के पीछे डाल देना चाहिए.”
मिलावट पर कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
सुनवाई के दौरान जस्टिस मिलिंद रमेश फड़के से बात करने के बाद चीफ जस्टिस ने मध्य प्रदेश सरकार से पूछा कि एक से ज्यादा बार मिलावट करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की और ऐसे लोगों की संख्या कितनी है? जवाब पेश करने के लिए शासन की ओर से समय मांगा गया है. अब मामले की सुनवाई गुरुवार 1(4 मार्च) को होगी.
बता दें कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पूर्व में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ग्वालियर सहित अन्य शहरों के प्रवेश द्वार पर दूध की जांच के लिए चेक पोस्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे. जिससे प्रवेश द्वार पर ही दूध की चेकिंग की जा सके. इसके साथ ही कोर्ट ने नियमित सैंपलिंग के भी आदेश दिए थे. आदेश का पालन नहीं होने पर साल 2021 में अवमानना याचिका दायर की गई.
शासन के जवाब से कोर्ट अंसतुष्ट
मंगलवार (12 मार्च) को अवमानना याचिका पर सुनवाई में फूड सेफ्टी कमिश्नर डॉ. सुदाम पी खाडे भी कोर्ट में मौजूद रहे. शासन की ओर से साल 2021 से लेकर 2023 तक की गई सैंपलिंग और उनके परिणाम के आंकड़े प्रस्तुत किए गए. हालांकि, शासन के जवाब से हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ.
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