जबलपुर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल (Junior doctors strike) को हाईकोर्ट (High Court ) ने अवैधानिक (Illegal) बताया है। उन्होंने 24 घंटे में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (Junior Doctor Association) गांधी हॉस्पिटल भोपाल (Gandhi Hospital Bhopal) को नोटिस देते हए जवाब मांगा है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में ट्रेनी महिला डॉक्टर की दुष्कर्म और हत्या के विरोध में प्रदेश के डॉक्टर हड़ताल पर उतर गए थे। इस हड़ताल को चुनौती देने वाली याचिका हाईकोर्ट में लगाई गई थी। हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि पूर्व में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश शासकीय चिकित्सा महासंघ तथा मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन को निर्देशित किया गया था कि वह हाईकोर्ट में बिना सूचित किए सांकेतिक हड़ताल तक नहीं करेंगे। युगलपीठ ने जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन गांधी हॉस्पिटल भोपाल को उक्त आदेश की प्रति नोटिस के साथ भेजने के आदेश देते हुए अगली सुनवाई शनिवार 17 अगस्त को सुनवाई निर्धारित की है।
नरसिंहपुर निवासी अंशुल तिवारी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल में एक महिला डॉक्टर के साथ हुई घटना के विरोध में देशभर के डॉक्टर आंदोलनरत हैं। प्रदेश के डॉक्टर भी घटना के विरोध में हड़ताल पर चले गए हैं। पूर्व में इंदरजीत सिंह शेरू की तरफ से दायर याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा फरवरी 2023 में दिए गए आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि उस समय डॉक्टरों की हड़ताल को अवैधानिक करार दिया था।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में चिकित्सा सेवा को अत्यावश्यक सेवा घोषित करते हुए कहा था कि अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विचिन्नता निवारण अधिनियम 1979 के तहत चिकित्सा सेवा के कर्मचारी सामूहिक अवकाश तथा हड़ताल पर नहीं जा सकते। हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश शासकीय व स्व शासकीय चिकित्सा महासंघ तथा मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन को निर्देशित किया था कि वे हाईकोर्ट में बिना सूचित किए सांकेतिक हड़ताल तक नहीं करेंगे।
याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य विभाग, डीन गांधी मेडिकल कॉलेज तथा जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन गांधी मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी करते हुए 24 घंटों में जवाब मांगा है। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नोटिस के साथ पूर्व में पारित आदेश की प्रति भेजी जाए। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता संजय अग्रवाल ने पैरवी की।
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