– सुनयना हजारी लाल, शांता और वीपी धनंजयन राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से सम्मानित
भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल (Governor Mangubhai Patel) के मुख्य आतिथ्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत रविवार शाम को विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो में 48वें ‘खजुराहो नृत्य समारोह-2022’ (48th ‘Khajuraho Dance Festival-2022’) का भव्य शुभारंभ हुआ। इस मौके पर पर्यटन, संस्कृति और अध्यात्म मंत्री उषा ठाकुर, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा और सांसद विष्णुदत्त शर्मा मौजूद रहे। समारोह में शास्त्रीय नृत्य के लिए सुनयना हजारी लाल को वर्ष 2019-20 तथा शांता और वीपी धनंजयन को वर्ष 2020-21 के राष्ट्रीय कालिदास सम्मान से नवाजा गया।
इस अवसर पर राज्यपाल पटेल ने कहा कि खजुराहो नृत्य समारोह खजुराहो की उत्कृष्ट पाषाण कला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाएगा। यह न सिर्फ प्रदेश और देश बल्कि विश्व के सांस्कृतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ेगा। उन्होंने कहा कि नृत्य सार्वभौमिक कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ है। यह शिल्प, नाट्य, संगीत और साहित्य का संगम है। पुराणों में इसे दुष्ट नाशक और ईश्वरी साधना का माध्यम माना गया है। खजुराहो नृत्य समारोह इसी शास्त्रीय नृत्य की साधना का गरिमामय आयोजन है।
राज्यपाल पटेल ने मंत्री उषा ठाकुर, ओमप्रकाश सखलेचा और सांसद विष्णु दत्त शर्मा के साथ दीप जलाकर समारोह का शुभारंभ किया। उन्होंने इस मौके पर भारत माता के चित्र पर पुष्प भी अर्पित किये।
शास्त्रीय नृत्य संदर्भ का केंद्र होगा स्थापितः उषा ठाकुर
संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि भारत में सभी कला की अंतर्निहित दृष्टि अध्यात्म है। भारत मे मंदिरों की परंपराओं से नृत्य शैलियों का उद्भव हुआ है। तंजौर के मंदिर से भरतनाट्यम, भगवान जगन्नाथ पुरी के मंदिर से ओडीसी नृत्य, नटवर कृष्ण के नृत्य से प्रेरित कथक, केरल के गुरुवायुर मंदिर से कथकली, भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार पर आधारित मोहिनीअट्टम, और मणिपुरी नृत्य वैष्णव संप्रदाय की देन है। नृत्य सभी प्रकार के भावों की लयबद्ध प्रस्तुति है। संपूर्ण ब्रह्मांड भी लय बद्धता के कारण ही संचालित होता है। इन्हीं लयबद्ध नृत्य की मुद्राओं के रूप में खजुराहों की मूर्तियाँ भारतीय दर्शन की जीवंत झांकियां हैं।
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को दर्शाती हैं। यह बाह्य जगत से अंतर्जगत की यात्रा है। मानव जीवन में नृत्य की महानता और उसके योगदान को देखते हुए खजुराहो में शास्त्रीय नृत्य संदर्भ का केंद्र स्थापित किया जाएगा।
मंत्री सखलेचा ने कहा कि बुंदेलों ने 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच कला और संस्कृति के संयोग को मंदिरों के रूप में स्थापित किया था। यह मंदिर जोमेट्री, गणित और वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। यहां की मूर्तियों में जीवन जीने की कला का चित्रण है, जो दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिलती है।
सांसद वीडी शर्मा ने कहा कि खजुराहो कला, संस्कृति और अध्यात्म का संगम है। इसे मृतंगेश्वर भगवान की धरती और वर्ल्ड हेरिटेज साइट होने के साथ देश के 17 आईकॉनिक सिटी में से एक होने का गौरव प्राप्त है। यहाँ वर्ल्ड क्लास ऑडिटोरियम के निर्माण और खजुराहो नृत्य समारोह के आयोजन से खजुराहो के सांस्कृतिक और पर्यटन विकास को नई ऊंचाइयां मिलेंगी।
संस्कृति और पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि खजुराहो नृत्य समारोह का मंच विश्व में विशिष्ट स्थान रखता है। देश-विदेश के कई नामी-गिरामी कलाकार के लिए यह मंच बहुत महत्वपूर्ण है। शासन का प्रयास है कि आने वाले समय में देश और विदेशों की अलग-अलग संस्कृति के कलाकारों को अपनी साधना के प्रदर्शन का अवसर दिया जाएगा। उन्होंने सभी गणमान्य नागरिकों और आठ देशों के राजदूत एवं उच्चायुक्तों के खजुराहो नृत्य समारोह में उपस्थित होने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आप सभी की उपस्थिति ने इस समारोह को अधिक भव्यता और गरिमा प्रदान की है।
आठ देशों के राजदूत और उच्चायुक्त बने समारोह के साक्षी
48वें खजुराहो नृत्य समारोह की प्रस्तुतियों के साक्षी बनने के लिए आठ देशों के राजदूत और उच्चायुक्त सपरिवार समारोह में शामिल हुए। कोरिया, अर्जेंटिना, वियतनाम, ब्रूनेई, फिनलेंड, मलेशिया, थाईलेंड और लाओ के राजदूत और उच्चायुक्त शामिल हुए। वियतनाम के राजदूत फाम सान चाऊ, लाओ राजदूत बौनेमे चौआंगहोम, फिनलैंड राजदूत ऋत्वा कौक्कू-रोंडे, ब्रूनेई के उच्चायुक्त दातो अल्हिदुद्दीन मोहम्मद तहा और मलेशिया के उच्चायुक्त हामिद अब्दुल हिदायत ने सपरिवार आकर्षक और मनमोहक नृत्य प्रस्तुतियों का लुफ्त उठाया।
राष्ट्रीय कालिदास सम्मान और राज्य रूपंकर कला पुरस्कार अलंकरण
समारोह में राष्ट्रीय कालिदास सम्मान, शास्त्रीय नृत्य के लिए सुनयना हजारी लाल को वर्ष 2019-20 और श्रीमती शांता और वीपी धनंजयन को वर्ष 2020-21 के लिए प्रदान किया गया। उन्हें 2 लाख रुपये की सम्मान राशि, सम्मान पट्टिका, शाल और श्रीफल प्रदान किया गया। साथ ही राज्य रूपंकर कला पुरस्कार वर्ष 2022 के लिए प्रदान किए गए। देवकृष्ण जटाशंकर जोशी पुरस्कार बदनावर की प्रिया सिसोदिया, मुकुंद सखाराम भांड पुरस्कार इंदौर के स्वपन तरफदार, सैयद हैदर रजा पुरस्कार जबलपुर के दुर्गेश बिरथरे, दत्तात्रेय दामोदर देवलालीकर पुरस्कार अशोकनगर के नरेंद्र जाटव, जगदीश स्वामीनाथन पुरस्कार अशोक नगर के संजय धवले, विष्णु चिंचालकर पुरस्कार ग्वालियर के मुनि शर्मा, नारायण श्रीधर बेंद्रे पुरस्कार भोपाल के अग्नेश केरकेट्टा, रघुनाथ कृष्णराव फड़के पुरस्कार जबलपुर के ऋतुराज श्रीवास्तव, राम मनोहर सिन्हा पुरस्कार सागर की ज्योति सिंह और लक्ष्मी शंकर राजपूत पुरस्कार देवास की डॉ. सोनाली चौहान (पीठवे) को प्रदान किया गया।
समारोह के पहले दिन स्व. पंडित बिरजू महाराज के शिष्यगण कलाश्रम नई दिल्ली ने कथक समूह की मनमोहक प्रस्तुति दी। तबले की थाप पर पैरों की ताल ने दर्शकों का मन मोह लिया। इसी क्रम में शांता-वी.पी. धनंजयन और साथियों ने भरतनाट्यम समूह नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी । पारंपरिक परिधानों के साथ मंझे हुए कलाकारों की संगीतमय वातावरण में ओजपूर्ण प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया। समारोह के दूसरे दिन सुजाता महापात्रा भुवनेश्वर द्वारा ओडीसी, निरुपमा राजेंद्र बेंगलुरु द्वारा भरतनाट्यम कथक समागमा और जयरामा राव एवं साथी दिल्ली द्वारा कुचिपुड़ी समूह नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी।
संस्कृति विभाग की उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के साथ मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और जिला प्रशासन छतरपुर के संयुक्त प्रयास से नृत्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। समारोह में संचालक संस्कृति अदिति कुमार त्रिपाठी, निदेशक अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी राहुल रस्तोगी सहित विभाग और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
‘खजुराहो नृत्य समारोह’ 20 से 26 फरवरी तक
खजुराहो नृत्य समारोह पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी पुरातन परंपरा का पालन करते हुए मंदिर प्रांगण की आभा बनेगा। यह भगवान की भक्ति और नृत्य का बेजोड़ संगम होगा। 48वें नृत्य समारोह में देश एवं विश्व के विख्यात कलाकार अपनी नृत्य प्रस्तुतियां देंगे। समारोह 26 फरवरी तक चलेगा। (एजेंसी, हि.स.)
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