भोपाल। मध्य प्रदेश में अब सरकार हेरिटेज वाइन पॉलिसी लेकर आ रही है। इसके तहत सरकार अब महुए की शराब बनाकर बेचने की तैयारी कर रही है। आबकारी विभाग ने हेरिटेज मदिरा पॉलिसी तैयार कर ली है। इसे जल्द ही कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा। इस पॉलिसी के पीछे राजस्व बढ़ाने और आदिवासियों को रोजगार देने का लक्ष्य है। राजस्थान में जोधपुर में ‘चंद्रहासÓ और उदयपुर में ‘आशाÓ ब्रांड की शराब बनाई जाती है। अब इसी तर्ज पर मध्य प्रदेश सरकार भी शराब बनाने जा रही है। यह शराब महुआ से बनाई जाएगी और इसे शराब दुकानों पर बेचा भी जाएगा। हालांकि अभी तक शराब के ब्रांड का नाम तय नहीं हो सका है। सरकार महुआ से बनने वाली नई शराब को मप्र के नाम से राज्य के बाहर भेजेगी। इसीलिए पॉलिसी में यह प्रावधान रखा जा सकता है कि इसकी क्वालिटी से कोई समझौता नहीं होगा।
कैबिनेट में आएगी पॉलिसी
आबकारी विभाग की इस हैरिटेज मदिरा पॉलिसी को कैबिनेट में लाया जाएगा। इसी पॉलिसी के तहत मप्र की डिस्टलरीज आदिवासी क्षेत्रों के स्व सहायता समूहों की मदद से शराब बनवाएंगी। सरकार की कोशिश है कि महुआ की शराब से आदिवासी क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिले।
राजस्व बढ़ाने की कवायद
इस पॉलिसी के पीछे राजस्व बढ़ाने की कवायद भी बताई जा रही है। यदि सरकार महुआ की शराब बनाकर बेचती है तो उससे उसे 300 करोड़ से ज्यादा का राजस्व मिल सकता है। हैरिटेज मदिरा पॉलिसी के साथ ही शराब का उत्पादन, बॉटलिंग और बिक्री की प्रोसेस में सुधार करने का भी प्रस्ताव है।सरकार इससे पहले विलेज टूरिज्म पॉलिसी लेकर आ चुकी है। इसके तहत ग्रामीण इलाकों में स्थित दर्शनीय, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को टूरिस्ट स्पॉट की तरह विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है।उसी कड़ी में अब ये हैरिटेज वाइन पॉलिसी है।
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