भोपाल। मप्र में 29 नवंबर से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी होगी। इस बार प्रदेश में धान की बंपर पैदावार होने की संभावना है। क्योंकि किसानों ने 35 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में धान की बोवनी की गई। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने समर्थन मूल्य पर रिकार्ड 45 लाख टन से ज्यादा धान खरीदने की तैयारियां की हैं। पिछले साल राज्य में सर्वाधिक 37 लाख टन धान समर्थन मूल्य पर खरीदा गई था। वहीं, कोशिश यह भी है कि केंद्र सरकार को सेंट्रल पूल में 10 लाख टन से ज्यादा चावल दिया जाए।
इस साल अभी तक चार लाख टन चावल भारतीय खाद्य निगम को दिया जा चुका है। दिसंबर तक दो लाख टन चावल और दिए जाने की संभावना है। कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश में किसान सोयाबीन से मुंह मोडऩे लगे हैं और धान की ओर उनका रूझान बढऩे लगा है। प्रदेश में धान के समर्थन मूल्य पर खरीद बढऩे के साथ धीरे-धीरे धान का क्षेत्र भी बढ़ता जा रहा है। 2019 में 30.76 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया था। जबकि 2020 में 34.04 लाख हेक्टेयर में बोवनी की गई। वर्ष 2021 में 35 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में धान की खेती की गई है।
साल दर साल बढ़ रहा उत्पादन
प्रदेश में धान का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। पिछले साल 106 लाख टन से ज्यादा धान हुआ था। इस बार अनुमान है कि 125 लाख टन से ज्यादा धान का उत्पादन होगा। पिछले साल पांच लाख 80 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा था। इस बार नौ लाख से ज्यादा किसानों ने पंजीयन कराया है। इसे देखते हुए खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने समर्थन मूल्य पर 45 लाख टन धान बिकने के लिए उपार्जन केंद्रों पर आने का अनुमान लगाया है। केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य भी 72 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर एक हजार 940 रुपए कर दिया है। खाद्य, नागरिक आपूर्ति के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने बताया कि इस बार पिछले साल से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है। हमने धान खरीदने, रखने और मिलिंग की पूरी तैयारी कर ली है।
धान खरीदने के साथ-साथ होगी मिलिंग
सरकार ने तय किया है कि धान की खरीद के साथ-साथ मिलिंग भी होती जाए। इसके लिए तय नीति के तहत जिलेवार मिल संचालकों को धान आवंटित किया जाएगा। दरअसल, पिछले साल मिलिंग को लेकर काफी समस्या आई थी। मिलर एक क्विंटल धान के एवज में 67 किलोग्राम चावल देने के लिए तैयार नहीं थे। मिलर एसोसिएशन का कहना था कि धान की गुणवत्ता प्रभावित होने की वजह से टूटन अधिक हो रही है, जिससे भारतीय खाद्य निगम के मापदंड के अनुसार 67 किलोग्राम चावल देना संभव नहीं है। प्रोत्साहन राशि भी कम है। इसे देखते हुए सरकार ने मिलिंग की नीति में बदलाव करके 50 रुपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि के साथ अपग्रेडेशन के लिए 50 से लेकर दो सौ रुपए प्रति क्विंटल तक अतिरिक्त राशि देने का प्रविधान किया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस बार दस लाख टन चावल सेंट्रल पूल में दिया जाएगा। पिछले साल के धान से चावल बनाकर चार लाख टन भारतीय खाद्य निगम को दिया जा चुका है। दो लाख टन और दिसंबर तक देने की तैयारी है। प्रतिमाह तीन लाख टन धान की मिलिंग हो रही है।
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