भोपाल: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के 12 से ज्यादा जिलों में लिंगानुपात में कमी दर्ज की गई है. जिलों की लिस्ट जारी (List of districts released) होने के बाद राज्य के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ.प्रभुराम चौधरी (prabhuram chaudhary) ने अधिकारियों की मीटिंग ली. गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिशेध)अधिनियम के अंतर्गत राज्य सुपरवाइजरी बोर्ड (state supervisory board) की बैठक में मंत्री प्रभुराम चौधरी ने लिस्ट में शामिल सभी जिलों में निगरानी रखने के निर्देश दिए.
विभाग की रिपोर्ट में दतिया, सतना, ग्वालियर, रायसेन, सीधी, बुरहानपुर, सीहोर, गुना, देवास, सिंगरौली, पन्ना, हरदा और बड़वानी जिले में जन्म के समय से कों कम लिंगानुपात सामने आया है. ऐसे में मंत्री चौधरी ने अधिकारियों को इन जिलों पर विशेष निगरानी रखने की बात कही. इसके अलावा इन जिलों में सोनोग्राफी केंद्र के संचालकों, जिला समुचित प्राधिकारियों और पीसीपीएनडीटी (PCPNDT) नोडल ऑफिसरों की समीक्षा करने के आदेश दिए. मंत्री प्रभुराम चौधरी ने गर्भपात की दवाइयों को लेकर फैसला लेते हुए औषधि निरीक्षकों को सक्रियता और मॉनिटिरिंग बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा गर्भपात वाली दवाइयों के विक्रय पर भी नजर रखने के लिए विभाग को निर्देश दिए हैं.
लिंगानुपात के प्रति लोगों को जागरूक करने और जिलों के ग्रामीण-शहरी इलाकों में मुखबिर योजना के लिए कॉलेज की छात्राओं को ब्रांड अंबेसडर के रूप में चयन करने का फैसला लिया गया. मंत्री प्रभुराम ने अधिकारियों को बताया कि समुदाय स्तर पर जागरुकता बढ़ाने में ब्रांड अंबेसडर के रूप में छात्राओं को जिम्मेदारी देने के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं.लिंग चयन गतिविधियों को जन-समुदाय तक पहुंचाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए. बोर्ड ने इसे एक अच्छी पहल माना है.
स्वास्थ्य मंत्री डॉ.चौधरी ने बताया कि प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छे काम भी हुए हैं, जिसके सकारात्म परिणाम देखने को मिले हैं. PCPNDT एक्ट के क्रियान्वयन होने से भी अच्छा कार्य हुआ है. जन्म के समय लिंगानुपात की स्थिति में सुधार हुआ है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में साल 2015-16 में एक हजार बालक पर 927 बालिकाओं का जन्म हुआ, जबकि साल 2019-20 में एक हजार बालकों पर 956 बालिकाओं का जन्म हुआ है.
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