इंदौर। पंजीयन विभाग (Registration Department) द्वारा सम्पाद 2.0 पोर्टल (sampaad 2.0 portal) 15 अगस्त (August 15) से इंदौर (Indore) सहित प्रदेश के सभी जिलों में शुरू किया जा रहा है, जिसके चलते स्लॉट बुक करवाकर रजिस्ट्री (Registry) करवाने के लिए जिला पंजीयक के दफ्तर जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। बल्कि घर या दफ्तर में बैठकर ऑनलाइन रजिस्ट्री करवा सकेंगे। अभी हालांकि शुरुआत में पूरे जिले में यह सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकेगी। मगर कुछ समय बाद रजिस्ट्री सहित मॉडगेज, रेशो डील या अन्य सभी तरह के दस्तावेजों के रजिस्ट्रीकरण की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइनहो सकेगी, जिसमें सम्पत्ति के मालिक, खरीददार और गवाहों को दफ्तर नहीं जाना पड़ेगा और ई-केवाईसी के जरिए उनके पेन या आधार कार्ड की जांच हो सकेगी। रजिस्ट्री करवाने वाला खुद ही स्टाम्प ड्यूटी व अन्य शुल्क की राशि भी ऑनलाइन जमा कर सकेगा। अभी यह काम सर्विस प्रोवाइडर द्वारा किया जाता है। नए सिस्टम को अमल में लाने के लिए पंजीयन विभाग द्वारा लगातार प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
सभी जिलों में कृषि भूमि के खसरे के अंतरण के दस्तावेज पंजीकृत होने पर सम्पदा एप्लिकेशन से राजस्व विभाग के रेवेन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम के तहत साइबर तहसीलों में स्वत: नामांतरण के लिए शिफ्ट हो जाएंगे। यानी अलग से रजिस्ट्री के बाद नामांतरण का आवेदन नहीं करना पड़ेगा। शुरुआत में चार जिलों गुना, रतलाम, हरदा और डिंडोरी में उप पंजीयक कार्यालयों में नए सॉफ्टवेयर सम्पदा 2.0 का परीक्षण किया गया और अब 15 अगस्त से इंदौर सहित पूरे प्रदेश के पंजीयन विभाग में इसे लागू किया जा रहा है। 1 करोड़ से अधिक दस्तावेजों में से 28 लाख दस्तावेज 7 जिलों में डिजीटल किए जा चुके हैं। इंदौर के जिला पंजीयक दीपक शर्मा का कहना है कि फिलहाल दोनों सम्पदा पोर्टल चलेंगेऔर फिर धीरे-धीरे तकनीकी दिक्कतों को दूर कर लिया जाएगा। नए सम्पदा सॉफ्टवेयर में ई-केवाईसी सुविधा ऑनलाइन ही उपलब्ध होगी, जिसके चलते सम्पत्ति मालिक, खरीददार और गवाहों को पंजीयन विभाग के दफ्तर आने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। ऑनलाइन ही स्लॉट बुक कर घर या दफ्तर में बैठे रजिस्ट्री हो सकेगी। जिस सम्पत्ति की रजिस्ट्री करानी है उसकी कॉलोनी या क्षेत्र पर क्लिक करते ही उससे जुड़ी जानकारी सामने स्क्रीनपर आ जाएगी। शुल्क की राशि भी ऑनलाइन यानी कैशलेस जमा हो जाएगी। अभी ये सारी प्रक्रियासर्विस प्रोवाइडरों को करना पड़ती है। पंजीयकों के साथ सर्विस प्रोवाइडरों को भी नए सॉफ्टवेयर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पंजीबद्ध दस्तावेजों को व्हाट्सएप और ई-मेल के जरिए ऑनलाइन ही प्राप्त भी किया जा सकेगा।
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