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    MP के किसानों को मिलेट्स की खेती पर मिलेगी इतनी प्रोत्साहन राशि, सरकार का तोहफा

  • August 18, 2024

    भोपाल: मध्य प्रदेश की मोहन सरकार (Mohan Government) किसानों को खेती करने के लिए लगातार बढ़ावा दे रही है. सरकार मिलेट्स (Millets) को लेकर भी सजग है. इसी बीच एक अच्छी खबर सामने आई है. बता दें कि एमपी सरकार (MP Government) मोटा अनाज की खेती को बढ़ाने के लिए प्रति किलो 10 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. इससे किसान खेती के प्रति जागरूक होंगे और मोटे अनाज की खेती में तेजी आएगी. जानिए क्या है प्लान.

    बता दें कि साल 2023 को ‘मिलेट्स वर्ष’ के रूप में घोषित किया गया था. पूरे साल मोटी अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. अब तक मध्य प्रदेश में कुल खाद्यान्न उत्पादन क्षेत्र का सिर्फ 3.5 प्रतिशत हिस्सा ही मिलेट्स की खेती के लिए इस्तेमाल हो रहा है. सरकार इसे बढ़ाने का लगातार प्रयास कर रही है.


    साल 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार मोटे अनाज को 6,20,000 हेक्टेयर में उगाया जा रहा है. जबकि 2021-22 में यह क्षेत्र 5,55,000 हेक्टेयर था. आंकड़ो से जाहिर है कि इस बार खेती का क्षेत्र बढ़ा है. लेकिन फिर भी मध्यप्रदेश देश में इस फसल के उत्पादन के मामले में पांचवे स्थान पर है. इस पहल के जरिए किसानों को मिलेट्स की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना है. जिससे कि वे अपने कृषि उत्पादन को बढ़ा सकें.

    जनवरी 2023 में, मोटे अनाज के उत्पादन और विपणन पर दो दिन का सम्मेलन आयोजित किया गया. बजट में डिंडोरी में एक नया श्रीअन्न अनुसंधान संस्थान बनाने का ऐलान किया गया है. विधानसभा और प्रमुख जगहों की कैंटीन में अब मोटे अनाज से बने व्यंजन परोसे जा रहे हैं. फसल उत्पादन से लेकर भंडारण, प्रसंस्करण, विपणन, और ब्रांड बनाने तक सभी पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा ताकि पूरी वैल्यू चेन को बेहतर बनाया जा सके.

    2023-24 में मध्य प्रदेश में 12.68 लाख टन मोटा अनाज पैदा हुआ. जो 2019-20 में 8.96 लाख टन था. उत्पादन पहले की तुलना में बढ़ा है. प्रदेश में बाजरा मोटा अनाज का एक प्रमुख प्रकार है. जो सबसे ज्यादा उगाया जाता है. लगभग 60 प्रतिशत उत्पादन इसी फसल का है. महाकौशल क्षेत्र के मंडला, डिंडोरी और बालाघाट जैसे जिलों में श्रीअन्न का उत्पादन ज्यादा होता है.

    देश के कई हिस्सों में बारिश बहुत कम होती है. जिससे पारंपरिक फसलों जैसे गेहूं और धान की खेती करना मुश्किल हो जाता है. इन क्षेत्रों में मोटे अनाज की खेती बहुत फायदेमंद साबित होती है. मोटे अनाज यानी मिलेट्स कम पानी में अच्छी फसल देते हैं. इनकी खेती में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती. साथ ही इन्हें उर्वरकों की भी ज्यादा जरूरत नहीं होती है. ये कम जगह में भी अच्छे से उग जाते हैं. इस कारण से किसानों को इन फसलों से अच्छा मुनाफा मिलता है.

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