मंदसौर। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मंदसौर जिले (Mandsaur district) के नाहरगढ़ थाना क्षेत्र (Nahargarh police station area) के एक किसान ने बारिश की बेरुखी से खराब हुई फसल (damaged crop) से तनाव में आकर आत्महत्या कर ली। परिजनों का कहना है कि मृतक किसान को दो बच्चों की शादी इसी वर्ष करनी थी। साथ ही बाजार और बैंक का कर्ज (market and bank loan) भी चुकाना था लेकिन बारिश की बेरुखी से फसल खराब हो गई। इसी तनाव में किसान ने अपने खेत पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
जानकारी के मुताबिक, मंदसौर जिले के नाहरगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम बड़ौद निवासी किसान जगदीश धनगर अपने खेत पर सोने गया था। जब किसान सुबह काफी देर तक वापस घर नहीं लौटा तो परिजनों को चिंता हुई और वे उसकी तलाश में खेत पर पहुंच गए। जहां पेड़ पर उसकी लाश लटकी मिली। फिर इसकी सूचना नाहरगढ़ थाना पुलिस को दी गई। इसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को फंदे से उतारा और पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
मृतक किसान जगदीश धनगर के पिता राजचंद्र धनगर ने बताया कि बेटे को इस बात की चिंता थी कि एक तो बारिश नहीं हो रही। वहीं, उसके पास सिंचाई के लिए पानी भी नहीं है और बच्चों की शादी भी करना थी। ऊपर से बाजार और बैंक से लिए एक लाख रुपये का कर्ज भी उसे चुकाना था। अगर फसल अच्छी होती तो उसके सारे काम हो जाते। लेकिन मानसून की बेरुखी ने उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। पिता ने बताया कि मैंने उसे समझाया भी था। मुझे नहीं पता था कि वह ऐसा कदम उठा लेगा। सरकार अगर थोड़ा मुआवजा दे देती तो उसकी हिम्मत नहीं टूटती।
मृतक के बेटे कमलेश धनगर ने बताया कि पिता के सुसाइड करने के बाद अब परिवार में दादाजी, मां और एक बहन हैं। उनके पास करीब आठ बीघा जमीन है। इसमें सोयाबीन की बुआई की थी। इसी साल हम दोनों भाई-बहन की शादी भी होनी थी। पिता जी पर बैंक और बाजार का मिलाकर करीब एक लाख रुपये का कर्ज हो गया था। लेकिन बारिश नहीं होने से फसल खराब हो गई। इसी के चलते उन्होंने ऐसा कदम उठाया है।
किसान जगदीश धनगर द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले में जब कलेक्टर दिलीप कुमार यादव से चर्चा की गई। इस पर उनका कहना था कि आत्महत्या के पीछे पारिवारिक कारण हो सकता है। हमने अधिकारी को खेत पर भेजकर दिखवाया है। बारिश नहीं होने के कारण फसल में 10 से 15 फीसदी नुकसान हुआ है। हमने नेत्राकंन सर्वे करवाया है। फिलहाल सभी पटवारी हड़ताल पर बैठे हैं। वास्तविक सर्वे फसल की कटाई के बाद ही होता है।
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