विद्युत कम्पनी कर्मचारी संगठनों की आशंका सही साबित हुई
35 साल तक निजी कंपनी संभालेगी विद्युत सप्लाय व्यवस्था
इंदौर, प्रदीप मिश्रा ।
आखिरकार कर्मचारी संगठनों (Employees Organizations) की विद्युत कंपनियों का निजीकरण (Privatization) किए जाने संबंधित आशंका सौ फीसदी सही निकली। सरकारी पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी ( Government Power Transmission Company) को 1200 करोड़ रुपए में खरीदकर अडानी ग्रुप ने मध्यप्रदेश में विद्युत कंपनी (Power Company) के निजीकरण की शुरुआत कर दी है। अब सरकारी कंपनी के बजाय अडानी समूह (Adani Group) की निजी कंपनी एटीएल 35 साल तक विद्युत ट्रांसमिशन सिस्टम, यानी बिजली सप्लाई (Electricity Supply) संभालेगी ।
कर्मचारी संगठन व विद्युत कंपनी से संबंधित अन्य यूनियनों द्वारा सरकारी कंपनी को निजी हाथों में दिए जाने का विरोध होता आ रहा है। इधर संबंधित विभागीय अधिकारी व मंत्री बार-बार इसका खंडन करते आ रहे हैं, जबकि अब से लेकर लगातार 35 साल तक ट्रांसमिशन सिस्टम, यानी बिजली सप्लाई व्यवस्था संभालने की तैयारियां अडानी समूह ने शुरू कर दी हैं। सरकार ने अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड (एटीएल) कंपनी को एमपी पॉवर ट्रांसमिशन सिस्टम (MP Power Transmission System) का अधिग्रहण करने के लिए अनुमति जारी कर दी है। अब तक इंदौर सहित मध्यप्रदेश में ट्रांसमिशन सिस्टम प्रोजेक्ट, सरकारी कंपनी आरईसी के हाथों में था मगर अब इसका कामकाज व नियंत्रण ,अडानी समूह (Adani Group) करेगा ।
1200 करोड़ रुपए में तय हुआ सौदा
पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी (West Zone Electricity Distribution Company) के उच्च अधिकारियों के अनुसार अडानी समूह (Adani Group) के एटीएल ने भारत सरकार की एमपी पावर ट्रांसमिशन पैकेज-2 लिमिटेड कम्पनी को 1200 करोड़ रुपये में खरीदने सम्बन्धित डील टैरिफ आधारित नीलामी के जरिये हासिल की है। मगर नीलामी में अन्य कौन कौन सी व कितनी कम्पनियों ने भाग लिया यह जानकारी देने के मामले में अधिकारी कतराते नजर आ रहे है। सरकार ने अडानी की कम्पनी को अधिग्रहण पत्र जारी कर दिया है।
ट्रांसमिशन सिस्टम सुधारने का बहाना
मध्यप्रदेश में ट्रांसमिशन सिस्टम (Transmission System) को सुधारने के बहाने सरकार निजीकरण (Privatization) किए जाने की वकालत करती नजर आ रही है, जबकि अभी तक मध्यप्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री निजीकरण के मामले में कई बार स्पष्ट इंकार करते रहे हैं। अभी तक पावर ट्रांसमिशन सिस्टम के अंतर्गत विद्युत लाइनें बिछाने व देखरेख यानी मेंटेनेंस की जिम्मेदारी केंद्र सरकार शासित कम्पनी करती आ रही थी। मगर अब सारा ट्रांसमिशन सम्बन्धित कामकाज बिजनेसमैन गौतम अडानी की एटीएल कम्पनी सम्हालेगी।
अब विद्युत वितरण कंपनी की बारी
अडानी समूह ने बिजली बनाने व उसके ट्रांसमिशन सम्बन्धित सरकारी विद्युत कंपनी को खरीदने की तैयारिया लगभग 2 साल पहले ,मार्च 2020 में शुरू कर दी थी। जब मध्यप्रदेश सरकार ने 1320 मेगावाट बिजली बनाने के लिए पावर प्लांट लगाने की अनुमति इस अनुबंध के साथ दी थी कि वह प्लांट में बिजली बनाने के बाद वर्ष 2026-27 तक 4 रुपये 79 पैसे प्रति यूनिट बिजली देगा । बिजली बनाने वाले प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिलने के बाद बाद अडानी समूह (Adani Group) की मध्यप्रदेश में बिजली सफ्लाई करने वाली सरकारी कंपनी पर नजर थी । अंतत: अडानी ने बिजली बनाने के अलावा बिजली सफ्लाय करने वाली ट्रांसमिशन कंपनी खरीद कर यह दूसरी बाजी भी जीत ली । अब अडानी समूह छोटे मध्यम बड़े सभी विद्युत उपभोक्ताओं तक बिजली पहुचाने वाली , विद्युत वितरण कंपनी पर डोरे डाल रहा है। यदि ऐसा होता है तो मध्यप्रदेश में बिजली व्यवस्था पर सम्पूर्ण रूप से अडानी समूह का एकाधिकार हो जायेगा।
अब 35 साल तक अडानी मालिक
ट्रांसमिशन सिस्टम प्रोजेक्ट (Transmission System Project ) के अब 35 सालों के लिए गौतम अडानी मालिक होंगे। सरकार द्वारा 1200 करोड़ रुपए में मध्य प्रदेश में पावर ट्रांसमिशन सिस्टम को मजबूती मिलने का दावा किया जा रहा है। अडानी समूह (Adani Group) की कंपनी एटीएल को 35 साल तक ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट्स के निर्माण, स्वामित्व, संचालन और रखरखाव का अधिकार मिल जाएगा। गौरतलब है कि ट्रांसमिशन सिस्टम प्रोजेक्ट में 18 जिलों में करीब 850 सर्किल किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनें और 220 किलोवाट और 132 किलोवाट क्षमता वाले कई एयर इंसुलेटेड सबस्टेशन शामिल हैं ।
सरकारी विद्युत ट्रांसमिशन कंपनी को अडानी समूह को बेचा जाना यानी विद्युत कंपनी की निजीकरण (Privatization) की शुरुआत हो चुकी है । मध्यप्रदेश में ट्रांसमिशन लाइनों के कई प्रोजेक्ट का अडानी समूह द्वारा अधिग्रहण किया जा रहा है । निजी कंपनी बिजली ट्रांसमिशन के जरिये ज्यादा मुनाफा कमाने लिए मनमाना किराया वसूली करेगी, जिसका सीधा असर बिजली के आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा और बिजली महंगी होगी। विद्युत कर्मचारी संगठनों द्वारा इसके विरोध में बड़ा आंदोलन किया जाएगा ।
-भास्कर घोष , झोनल सेक्रेटरी
एमपीईबी असिस्टेंट एंड जूनियर अभियंता संघ इंदौर
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