रीवा। मध्यप्रदेश के रीवा (Rewa of Madhya Pradesh) में प्रखर प्रताप (Prakhar Pratap) नाम का युवा सात समंदर पार करके यानी अमेरिका से चुनाव लड़ने के लिए अपने गांव लौट (Returned to his village to contest elections from America) आया। गांव आकर उसने गुढ़ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की उम्मीदवारी पेश कर दी। जानकारी के मुताबिक, पेशे से आर्किटेक्ट प्रखर प्रताप सिंह अमेरिका में करोड़ों रुपये सालाना के पैकेज पर काम कर रहे थे।
रीवा जिले की गुढ़ विधानसभा सीट की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। इसकी वजह विधानसभा के रण में उतरे युवा नेता प्रखर प्रताप हैं। प्रखर ने ही इस विधानसभा क्षेत्र में विधायकी की दावेदारी पेश की है। 25 साल के प्रखर प्रताप सिंह मूलरूप से रीवा जिले के रायपुर कर्चुलियान के पुस्तैनी निवासी हैं। प्रखर देश के प्रसिद्ध दून स्कूल देहरादून में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद अमेरिका चले गए थे। वहां उन्होंने आर्किटेक्ट की डिग्री और इटली में मास्टर डिग्री हासिल की। डिग्री पूरी होते ही प्रखर प्रताप सिंह को अमेरिका में भारतीय मुद्रा के हिसाब से एक करोड़ रुपये सालाना के पैकेज की नौकरी मिल गई। लेकिन इस दौरान वतन की मिट्टी की महक, गांव की यादें और गरीबों के दर्द की यादें ताजा होती रहीं। ऐसा प्रखर का दावा है।
हालांकि इस बीच अमेरिका में मौजूद इंडियन सोसाइटी में प्रखर प्रताप सिंह की मुलाकात कुछ भारतीय नेताओं से हुई। इस मुलाकात से प्रखर को नई राह पर चलने की एक उम्मीद मिल गई। राजनीति से पूरी तरह अनजान आर्किटेक्ट प्रखर प्रताप सिंह भारत लौट आए और चुनावी रण में उतर गए। उन्होंने गुढ़ विधानसभा सीट से उम्मीदवारी कर जनता की सेवा करने का इरादा मजबूत कर लिया। इससे पहले प्रखर प्रताप सिंह के खानदान से कोई भी राजनीति में नहीं रहा है। प्रखर प्रताप सिंह के जुनून को देखकर आम आदमी पार्टी ने गुढ़ सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।
AAP उम्मीदवार के पिता भानू सिंह ने बताया कि प्रखर बचपन से ही काफी होनहार थे। पढ़ाई में ललक देखते हुए उनको दून स्कूल भेज दिया। उसके बाद प्रखर ने दून से अमेरिका और फिर इटली का सफर तय किया। अच्छा पैकेज मिलने से प्रखर को अमेरिका में रहने की सलाह दी थी। लेकिन अपने बब्बा साहब से प्रभावित होकर प्रखर समाज सेवा की राह पर चल पड़े हैं। वहीं, प्रखर प्रताप ने बताया कि उनके विधानसभा क्षेत्र में कई समस्याएं हैं। गरीबों की छोटी-छोटी जरूरतें हैं जो पूरी नहीं हो पाई हैं। मेरा लक्ष्य है कि रूट लेवल (धरातल) पर काम करूं, ताकि उनके जीवन स्तर में सुधार हो और जनता खुशहाल हो जाए।
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