इंदौर: इंदौर (Indore) की 9 विधानसभा सीटों (assembly seats) में इंदौर-एक, इंदौर-दो, इंदौर-तीन, इंदौर-चार, इंदौर-पांच, राऊ, सांवेर, महू और देपालपुर सीटें शामिल हैं. इन सीटों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब तक इंदौर-एक, इंदौर-दो, इंदौर-चार, राऊ, सांवेर, और देपालपुर पर टिकट घोषित कर अपने उम्मीदवार (Candidate) खड़े कर चुकी है. वहीं तीन विधानसभा सीटें अभी बची हुई है जिनमें इंदौर-तीन, इंदौर-पांच, और महू शामिल हैं जिन पर टिकट घोषित (ticket announced) करना बाकी है.
जहां टिकट दे दिए गए उनमें इंदौर विधानसभा एक से कैलाश विजयवर्गीय, विधानसभा-2 से मौजूदा विधायक रमेश मेंदोला को टिकट मिला है. विधानसभा-4 पर भी बीजेपी ने पुराने विधायक पर ही भरोसा जताते हुए मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ को यहां से रिपीट किया है. इसके अलावा सांवेर में मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट को फिर से मौका दिया गया है. वहीं जो बाकी सीटें खाली रह गई है. बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति उसे पर मंथन कर रही है क्योंकि जो सीटें रह गई हैं वह बेहद कश्मकश वाली स्थिति की है जहां पार्टी अंतर विरोध का सामना कर रही है.
तीन नंबर विधानसभा सीट पर फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गी के पुत्र आकाश विजयवर्गीय विधायक है. आकाश विजय वर्गीय को इस बार टिकट मिलना मुश्किल लग रहा है क्योंकि उनके पिता कैलाश विजयवर्गी को पार्टी विधानसभा 1 से पहले ही उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. अब सियासी गलियारों में तीन नंबर सीट पर कैलाश विजयवर्गीय समर्थक उम्मीदवार खड़ा होने की संभावना जताई जा रही है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि यहां से मौजूदा विधायक आकाश विजयवर्गीय कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र हैं और कैलाश विजयवर्गीय पूरी कोशिश करेंगे कि उनका समर्थक ही इस सीट पर टिकट लेकर आए क्योंकि बीजेपी खुद दावा करती है कि पिछले 5 सालों में आकाश विजयवर्गीय ने यहां पर करोड़ों रुपए के विकास कार्य करवाए हैं.
ऐसे में पार्टी किसी और को टिकट देकर कैलाश विजयवर्गीय को नाराज नहीं करना चाहेगी. इसके अलावा तीन नंबर विधानसभा सीट मध्य क्षेत्र में होने से यहां व्यापारी बड़ी संख्या में मौजूद हैं और कुछ मुस्लिम बाहुल्य इलाके भी हैं जिनको देखते हुए भाजपा को फैसला लेना होगा. इसके अलावा एक फैक्टर और यहां काम कर सकता है कि यहां पर युवा नेतृत्व मौजूदा विधायक रहा है तो हो सकता है कि बीजेपी इस सीट पर किसी युवा चेहरे को उतार दे और यह भी कह सकते हैं कि अब तक जो टिकट इंदौर में दिए गए हुए सभी पुराने चेहरों पर दाव खेला गया है.
ऐसे में पार्टी युवा चेहरे को टिकट देकर अपने कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच संदेश दे सकती है कि युवाओं को भी मौका दिया जा रहा है. हालांकि पार्टी अगर महिला और हिंदुत्व का कार्ड खेल कर यहाँ से किसी को टिकट दे दे तो ये भी विरोधियों को चौंकाने जैसा ही होगा.
अगर विधानसभा 5 की बात करें तो यहां से पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक महेंद्र हार्डिया टिकट लेने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनका विरोध अपनी ही विधानसभा में अपने ही कार्यकर्ता कर रहे हैं. यह बात किसी से छुपी नहीं है कि पिछले दिनों इंदौर के एक निजी होटल में महेंद्र हार्डिया के खिलाफ लॉबी करते हुए भाजपा के ही कई बड़े नेताओं ने एक गुप्त बैठक आयोजित की थी और इस बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया था कि इस बार महेंद्र हार्डिया को टिकट नहीं मिलना चाहिए और पार्टी लेवल पर इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा.
इससे पहले भी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता खुले तौर पर सड़क पर उतरकर अपना विरोध जाता चुके हैं. कुछ दिन पहले ही कार्यकर्ताओं ने अपने खून से एक पत्र लिखकर इस बात का विरोध जताया था कि वह महेंद्र हार्डिया को दोबारा टिकट देने के पक्ष में नहीं है. इसलिए सीट पर अभी बीजेपी ने टिकट जारी नहीं किया है और पार्टी अपने स्तर पर मंथन कर रही है ताकि कम से कम कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेलने पड़े.
इसके अलावा पिछले दिनों इंदौर के भारतीय जनता पार्टी के नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे भी इस विधानसभा सीट से अपने दावेदारी जता रहे थे क्योंकि वह पार्टी का नया और युवा चेहरा है तो हो सकता है कि पार्टी गौरव या किसी ऐसे ही नए चेहरे पर यहां टिकट देकर चुनाव लड़वा दे. हालांकि महेंद्र हार्डिया का बयान भी इस बीच मायने रखता है. उन्होंने पिछले दिनों कहा था कि मेरी सीट पर मेरे और कैलाश विजयवर्गीय के अलावा कोई और चुनाव नहीं जीत सकता ऐसे में महेंद्र हार्डिया को नाराज करना भी बीजेपी के आला नेताओं को गंवारा नहीं गुजरेगा.
इस विधानसभा सीट के अगर बात करें तो यहां भाजपा ने स्थानीय उम्मीदवार कभी उतारा ही नहीं। या यूं कहें कि लंबे अरसे से यहां पर स्थानीय उम्मीदवार की दरकार है. भारतीय जनता पार्टी ने यहां पर पहले कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव लड़वाया उसके बाद यहां पर मौजूदा कैबिनेट मंत्री उषा ठाकुर चुनाव लड़ी और जीती। पिछले चुनाव की बात करें तो उषा ठाकुर यहां से विधायक बनी और उसके बाद फिर उन्हें मंत्री बनाया गया.
महू में उषा ठाकुर का विरोध भी पार्टी स्तर पर चल रहा है और अंदर ही अंदर से यह बात निकाल कर सामने आ रही है कि भाजपा के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में स्थानीय उम्मीदवार की मांग कर रहे हैं और यह कहा जा रहा है कि महू में अब स्थानीय उम्मीदवार को ही टिकट मिलना चाहिए. हालांकि मंत्री उषा ठाकुर और उनके समर्थक ऐसा नहीं मानते हैं और उनका कहना है कि पार्टी के अंदर सब ठीक-ठाक है.
दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में युवा आयोग के अध्यक्ष डॉ निशांत खरे भी महू से टिकट की दावेदारी चुपचाप कर रहे हैं और गुपचुप तरीके से यहां उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी है. महू में जातिगत समीकरणों की बात करें तो यहां पर सबसे ज्यादा आदिवासी वोट बैंक है ऐसे में डॉक्टर निशांत खरे की दावेदारी यहां से अन्य नेताओं की तुलना में थोड़ा मजबूत नजर आती है. लेकिन यह कहना मुश्किल है कि पार्टी डॉक्टर निशांत खरे को यहां से टिकट देगी। उषा ठाकुर का विरोध और आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए यहां पार्टी किस टिकट देगी यह बताना अभी थोड़ा मुश्किल है. इसीलिए इंदौर की इन तीन विधानसभा सीटों को अभी होल्ड पर रखा गया है.
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