भोपाल। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी बयानबाजी तेज होती जा रही है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस को टैग कर लिखा कि आज जनमानस में कुछ प्रश्न उपस्थित हो गए हैं। पहला भगवान राम बड़े या मोदी जी? दूसरा हिंदू धर्मशास्त्र में हिंदुओं को कौन मार्ग दिखाए, शंकराचार्य जी या चंपत राय जी? तीसरा सनातन धर्म की मान्यताओं का पालन किसने किया? महात्मा गांधी ने या नाथूराम गोडसे ने? चौथा क्या निर्माणाधीन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जा सकती है? पांचवां राम भगवान का जन्म राम नवमी पर हुआ था क्या प्राण प्रतिष्ठा उसी दिन नहीं हो सकती थी?
दिग्विजय सिंह को सनातन पर बोलने का अधिकार नहीं : सलूजा
वहीं, दिग्विजय सिंह के सवालों पर भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह को राममंदिर के बारे में बोलने का हक नहीं है। उनका राम और सनातन धर्म विरोधी चेहरा कई बार देखा है। ओसामा जी, जाकिर नाइक शांति दूत, हाफिज साहब यही उनके आदर्श हैं। वे सदैव हिंदू धर्म को कोसने का काम करते हैं। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने गोडसे को पूजने वाले को कांग्रेस में शामिल कराया था। वे लोग आज सवाल उठा रहे हैं। इसका विरोध खुद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण यादव ने किया था। कांग्रेस को सनातन पर लिखने का अधिकार ही नहीं है।
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