उमरिया। देश की सरकारें (Goverment) विकास के चाहे कितने भी बड़े-बड़े दावे क्यू न कर लें मगर कहीं न कहीं कोई तस्वीर मिल ही जाती है जो एक अलग ही परिवेश बयां करती है। उमरिया (Umaria) जिले के मानपुर जनपद स्थित ग्राम कसेरू (Kaseru) के सरैया मोहल्ले में गांव (village) के लोगों की बनाई झोपड़ी (cottage) में शासकीय प्राथमिक पाठशाला (Government Primary School) का संचालन हो रहा है।
यहां एक दो नहीं, बल्कि गरीबों के 36 से अधिक पहली से पांचवीं तक के मासूम शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि बीसवीं सदी में जब देश विकास की नई गाथा लिख रहा है। विश्व पटल में देश नए-नए कीर्तिमान हासिल कर स्वयं को विश्व गुरु की श्रेणी में खड़ा कर रहा है। वहीं, देश में शैक्षणिक संस्थाओं का ये हाल जिम्मेदारों के लिए बड़ा सवाल है।
यहां शासकीय भवन न होने की वजह से जो जिम्मेदार शिक्षक हैं वो करीब 8-9 वर्षों से गांव के ही दया राम सिंह के मकान में बच्चों को अध्यापन कार्य कराते रहे हैं। बता दें कि अभी हाल ही में गणतंत्र दिवस पर गांव के लोग मिलकर एक नवीन झोपड़ी में विद्यालय का निर्माण किया है। यहां बच्चों ने अध्यापन कार्य करना शुरू भी कर दिया है।
कोई सुध नहीं लेगा तो शायद मुश्किल होगा
नाम न छापने की शर्त पर स्थानीय ग्रामीण ने व्यथित होकर बताया कि प्राथमिक पाठशाला के लिए करीब 27 लाख स्वीकृत भी हुए हैं। ऐसा हमें बताया गया था, पर गरीबों की कौन सुध लेता है। शिक्षा ग्रहण कर रहे मासूम छात्र देश का भविष्य हैं। इन मासूमों को शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं में शुरुआती दिनों मे ही कमी शायद इनकी शैक्षिक गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो जिस विकास की परिकल्पना को साकार करने में देश की सरकारें जुटी हैं, शायद मुश्किल होगा।
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