दमोह। दमोह (Damoh) जिले में भगवान परशुराम (Lord Parshuram) का एकमात्र मंदिर (Temple) परशुराम टेकरी पर है। यहां विराजमान भगवान परशुराम मंदिर में आने वाले भक्तों की संतान प्राप्ति (Having Child) की मनोकामना पूर्ण (Wish Fulfilled) करते हैं। भगवान की प्रतिमा 320 फीट ऊंचे पहाड़ पर बरिया के पेड़ के नीचे खुदाई के दौरान सपना देकर निकली थी। भगवान ने किशुनगंज वाले दादा को 12 साल लगातार स्वपन दिया था। जिसके बाद उन्होंने अपने साथी से इस बारे में चर्चा की और जब इस पहाड़ पर खुदाई की और बरिया के पेड़ को हटाया तो वहां भगवान परशुराम की अद्भुत प्रतिमा निकली। इसके बाद से यह स्थान परशुराम टेकरी के नाम से पहचाना जाने लगा, जहां दमोह जिले के अलावा कई जिलों से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते हैं।
मंदिर के पुजारी पंडित कृष्ण कुमार गर्ग ने बताया कि साल 1981 में बैजनाथ श्रीवास्तव के द्वारा इस पहाड़ पर खुदाई करवाई थी और बरिया के पेड़ के नीचे भगवान परशुराम की प्रतिमा निकली थी। इसके बाद यहां पूजन अर्चन शुरू हुआ और 1 साल के बाद 1982 में मंदिर निर्माण का काम प्रारंभ किया गया। यह पूरी जगह वन विभाग के अंतर्गत आती है इसलिए उस समय तत्कालीन डीएफओ अली साहब के द्वारा मंदिर निर्माण कार्य को रुकवा दिया गया। जैसे ही लोगों को इस बात की जानकारी लगी कि वन विभाग के अधिकारी ने मंदिर का निर्माण कार्य रुकवा दिया है तो यहां विवाद के हालात बन गए थे।
उस दौरान तत्कालीन कलेक्टर ने इस विवाद को शांत करवाया और 48 घंटे के अंदर यहां मंदिर निर्माण कार्य शुरू करवाकर लाइट की व्यवस्था करवाई गई। पंडित बताते हैं कि भगवान परशुराम ने सपने में बैजनाथ श्रीवास्तव को यह भी बताया था कि आपके यहां तो कोई संतान नहीं होगी, लेकिन इसके बाद जो भी व्यक्ति अपनी संतान की मनोकामना लेकर मंदिर आएगा उसकी झोली जरूर भर जाएगी। आज तक यहां से कोई भी महिला खाली हाथ नहीं लौटी। मंगलवार और शनिवार को यहां विशेष रूप से भगवान का पूजन करने के लिए लोग आते हैं और अपनी मनोकामना भगवान परशुराम से मांगते हैं। सैकड़ों लोगों के यहां संतान की प्राप्ति हुई है, इस बात का दावा भी मंदिर के पुजारी करते हैं। उन्होंने बताया कि जिले में भगवान परशुराम का कहीं भी दूसरा मंदिर नहीं है।
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