देवास। खातेगांव (Khategaon) तहसील के ग्राम सिलफोड़ खेड़ा (Silphod Kheda) के खेतों में तीन खूंखार वन्यजीव (Dreadful Wildlife) खुलेआम घूम रहे हैं, जिससे पूरे इलाके में डर कर माहोल बना हुआ है। यह घटना न केवल ग्रामीणों के लिए चिंताजनक बन गई है, बल्कि वन विभाग की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में है।
आश्चर्यजनक स्थिति और वन विभाग की लापरवाही
अभी तक यह स्पस्ट नहीं हो पाया है कि यह चीते है तेंदुएं है या अन्य कोई वन्यजीव है। 8-10 दिनों से इस खतरनाक समस्या का समाधान नहीं होने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। वनजीवों का यह समूह मुख्यतः एक मादा और उसके दो शावकों का बताया जा रहा है, जो खेतों के आसपास चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि, वन विभाग ने अब तक इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिससे स्थानीय लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
वनजीवों का लगातार हमला और ग्रामीणों का भय
शुरुआत में तो लोग इन वनजीवों के बारे में सटीक जानकारी नहीं जुटा पाए थे, लेकिन अब यह स्थिति खतरनाक रूप ले चुकी है। सोमवार को इन वन्यजीवों ने एक बकरी पर हमला किया और फिर बुधवार को भी एक और बकरी को उठा ले गए।
बकरी के मालिक, अनिल उईके, ने घटना का आंखों देखा हाल साझा किया। वे बताते हैं कि उनकी बकरी गर्भवती थी, और इस हमले ने उन्हें मानसिक रूप से भी बहुत आहत किया है।
वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही
मंगलवार रात को वन विभाग के कुछ अधिकारी स्थिति का जायजा लेने मौके पर पहुंचे, लेकिन उनकी प्रतिक्रिया ने सभी को चौंका दिया। अधिकारियों ने वनजीवों को पकड़ने के लिए कोई विशेष कदम नहीं उठाया। उन्होंने मक्का के खेतों में जाने से भी साफ इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि उन्हें डर लग रहा है। यह वन विभाग का गैर जिम्मेदाराना रवैया स्थानीय लोगों के लिए और अधिक खतरनाक साबित हो रहा है।
ग्रामीणों की सुरक्षा का संकट ग्रामीणों की चिंता यह है कि वन विभाग ने इस संकट को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। वे यह सवाल उठा रहे हैं कि आखिर वन विभाग कब तक इस खतरे को नजरअंदाज करेगा और कब इन खतरनाक वनजीवों को सुरक्षित स्थान पर भेजेगा?
क्या वन विभाग जागेगा?
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि जल्द ही कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो यह खतरा बढ़ सकता है और किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता है। वनजीवों की बढ़ती उपस्थिति और वन विभाग की निष्क्रियता ने ग्रामीणों को एक भयावह स्थिति में डाल दिया है, और वे अब समाधान की उम्मीद कर रहे हैं।
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