ग्वालियर: हस्तशिल्प उत्पाद (handicraft products) में मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) ने इतिहास रचते हुए 6 उत्पादों पर जीआई टैग (GI Tag) हासिल किया है. जिसमें ग्वालियर का कारपेट (Carpet of Gwalior) भी शामिल है. मध्यप्रदेश को 175वां जीआई टैग मिलने और ग्वालियर के कालीन उद्योग को जीआई टैग (GI tag) मिलने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने खुशी जताई है. वहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने भी बधाई दी है.
ग्वालियर के कालीन उद्योग को जीआई टैग मिलने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुशी जताई है. सिंधिया ने कहा कि ग्वालियर के कालीन कारोबार को विकसित करने के लिए प्रदेश सरकार और उनके द्वारा प्रयास किए जाएंगे. जिसके लिए चंदेरी की तर्ज पर ग्वालियर में कालीन इंडस्ट्री तैयार की जाएगी. जिससे यहां बुनकरों को विशेष सुविधाएं मिल पाए हैं और वे बेहतर तरीके से कार्य कर सकें. उनके प्रॉडक्शन के लिए सभी जरूरतें पूरी करने का प्रयास किया जाएगा. सिंधिया ने कहा कि सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कार्पेट की फैक्ट्री की शुरुआत की, जिसे हम आगे ले जा रहे हैं. हमारी कोशिश है कि सबसे बड़ी लूम की फैक्ट्री ग्वालियर में स्थापित हो. इसी योजना पर काम किया जा रहा है.
जिसमें ग्वालियर का कारपेट, भेड़ाघाट के स्टोक्रॉप, डिंडौरी की गोंड पेंटिंग, उज्जैन की बाटिक प्रिंट, बालाघाट की वारासिवनी की रेशमी साड़ी और रीवा का सुंदरजा आम शामिल हैं. केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के इंडस्ट्री प्रमोश इंटरनल ट्रेड ने ये तमगा दिया है. बता दें कि जीआई का फुल फॉर्म Geographical indication है. इसका मतलब भौगोलिक संकेत होता है. जीआई टैग एक ऐसा प्रतीक होता है, जो मुख्य रुप से किसी उत्पाद को उस जगह से जोड़ने के लिए दिया जाता है.
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