भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में सस्ती शराब बेचने (sell cheap liquor) के ठेकेदार विरोध कर रहे हैं। सरकार की नई शराब नीति के विरोध (Opposition to the new liquor policy) में शराब ठेकेदार लामंबद हो गए हैं. भोपाल में अधिकांश ठेकेदारों ने हड़ताल शुरू कर दी है। उन्होंने सरकार पर परेशान करने का आरोप लगाया है. ठेकेदार मध्य प्रदेश आबकारी संघ के बैनर तले हड़ताल कर रहे हैं. उनका कहना है कि रूटीन चेकिंग के बहाने उनकी दुकानें सील की गई हैं. शराब नीति का विरोध राजधानी भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर सहित 17 जिलों में हो रहा है.
गौरतलब है कि सरकारी की नई शराब नीति के तहत ठेकेदारों को देशी-अंग्रेजी शराब दुकानें एक ही जगह खोलनी होंगी। मार्जिंन कम करना होगा और एक तय सीमा में माल उठाना होगा। इसके लिए शराब विक्रेता तैयार नहीं है. बताया जाता है कि शराब नहीं बिकने से सरकार को करीब 5 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है। शराब ठेकेदारों का कहना है कि उनका संगठन सरकार से टकरा तो नहीं सकता, लेकिन वह अपना विरोध प्रदर्शन इसी तरीके से जारी रखेगा. अगर सरकार ने शराब नीति में बदलाव नहीं किया तो वे दुकानों को नहीं खरीदेंगे।
शराब विक्रेताओं ने बताई ये वजह
शराब ठेकेदारों ने मीडिया से कहा है कि नई आबकारी नीति के चलते ठेके नीलाम नहीं हो रहे. नीलामी नहीं होने की वजह से अब आबकारी विभाग ठेकेदारों पर दबाव बना रहा है और चेकिंग करने के बहाने उनकी दुकानों को सील कर रहा है. जानकारी के अनुसार भोपाल में शराब की 90 दुकानें हैं. 1 अप्रैल से 31 मार्च 2023 तक की अवधि के लिए 11 फरवरी को हुए ई-टेंडर की प्रोसेस में सिर्फ 32 दुकानों के ही ठेके हुए. नई आबकारी नीति में तमाम प्रावधान के चलते ठेकेदार इस बार शराब की दुकान लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
ठेकेदारों को व्यापार ठप होने का डर
शराब विक्रेताओं ने बताया कि इस बार 25% रिजर्व प्राइस बढ़ा दिया गया है. देशी और अंग्रेजी शराब एक ही दुकानों पर बेचने की शर्त भी है. शराब ठेकेदारों का कहना है कि ऐसा करने से उन्हें घाटा होगा और कारोबार ठप हो जाएगा. शराब की कीमत पर ठेकेदारों ने कहा कि मध्य प्रदेश में दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा ड्यूटी लगाई जाती है. यही कारण है कि शराब के दाम बढ़ जाते हैं।
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