भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश की 16 वीं विधानसभा के चुनाव (Madhya Pradesh 16th assembly election ) में बहुमत के लिए लड़ाई इतनी कड़ी हो गई कि मतदान होते-होते समर्थकों के साथ-साथ कई सीटों पर प्रत्याशियों में बहस और लड़ाई (Debate and fight between candidates) तक हो गई। एफआईआर भी हो गई। लड़ाई करो या मरो (fight or die) की तरह नजर आई। इसके बावजूद सबसे बड़ा सवाल यही है कि चार चुनावों से जिस जादुई संख्या 116 के लिए कांग्रेस (Congress) तरस रही है, वह इस बार हासिल कर पाएगी? या भाजपा (BJP) सत्ता में लौट आएगी? कांग्रेस के एक जिम्मेदार नेता ने कहा, पार्टी सत्ता में प्रचंड बहुमत से आ रही है। भाजपा (BJP) एक बड़े नेता की मानें तो संगठन के आंतरिक विश्लेषण में सामने आया है कि पार्टी 121 सीटों के साथ वापसी कर रही है।
जादुई नंबर का सवाल
भाजपा ने 2003, 2008 और 2013 में बड़े बहुमत से सरकारें बनाईं। लेकिन, 2018 में नजदीकी मुकाबला रहा। कांग्रेस को 114 और वोट ज्यादा लेकर भी भाजपा को 109 सीटें मिलीं। बहुमत के लिए जरूरी 116 सीटें कोई भी पार्टी हासिल नहीं कर पाईं। कांग्रेस की सरकार बनी। डेढ़ साल बाद कांग्रेस सरकार गिरी और भाजपा की शिवराज चौहान सरकार (Shivraj Chauhan government) फिर आ गई। अब सवाल है कि क्या कांग्रेस इस बार यह जादुई नंबर हासिल कर पाएगी?
प्रमुख फैक्टर
– सत्ताविरोधी रुझान कई जगह सामने आया। भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी थी तो उधर, कांग्रेसी आक्रामक नजर आए।
– भाजपा का सीएम चेहरा सामने न रखना कई लोगों को पसंद नहीं आया। मतदाताओं कहते मिले कि एमपी के मन में मोदी का मतलब यह तो नहीं है कि मोदी एमपी के मुख्यमंत्री बनेंगे। कांग्रेस के सीएम प्रत्याशी से तुलना के लिए चेहरा तो होता।
– भाजपा की सबसे बड़ी उम्मीद लाडली बहना योजना ही नजर आई। महिलाएं भाजपा के साथ दिखीं। अन्य किसी मुद्दे में ऐसी अपील नहीं दिखी। महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत ज्यादा सामने आया है। भाजपा इसे अपने पक्ष में मान रही है।
– कर्मचारी पुरानी पेंशन के कांग्रेस वादे से प्रभावित दिखे। मुस्लिम मतदाताओं ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया।
– बागी प्रत्याशी एक दर्जन सीटों पर मुख्य लड़ाई में नजर आए।
ज्यादा मतदान…सत्तारूढ़ दल को लाभ
वर्ष 2003 से हर चुनाव में मत प्रतिशत बढ़ा है। 2018 के चुनाव को छोड़ हर बार इसका फायदा सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में गया। पिछले चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस को पांच सीटें ज्यादा मिलीं लेकिन वोट ज्यादा भाजपा को मिले थे। विश्लेषक बता रहे हैं कि इस बार सामान्य वोट बढ़ना तो कांग्रेस के पक्ष में जा सकता है लेकिन यदि उनमें महिलाओं का वोट प्रतिशत बढ़ा तो इसका फायदा भाजपा के पक्ष में जाने का अनुमान है।
भितरघातियों-बागियों से जूझ रहे दिग्गज
लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज चौहान और पूर्व सीएम कमलनाथ के क्षेत्रों में उलटफेर की स्थिति नहीं है। लेकिन, अन्य हिस्सों में तस्वीर हटकर है। चुनाव में उतरे भाजपा के दिग्गज मंत्री व सांसद में ज्यादातर करीबी लड़ाई में दिखे। बसपा-सपा कई सीटों पर संघर्ष में दिखीं, जिसका कहीं भाजपा-कांग्रेस को नुकसान नजर आया। भाजपा विरोधी वोट कांग्रेस को गए हैं। भाजपा को कई जगह कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेलनी पड़ी है। दूसरी पार्टियों से लड़े बागी नेताओं खुद की जीत न होते देख अपनी पुरानी पार्टी के प्रत्याशियों की हार के लिए ताकत झोंक दी। जबलपुर संभाग में ऐसी कई सीटों पर कांग्रेस को फायदा मिल सकता है।
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