भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मंडला जिले (Mandla district) में 9 मार्च को नक्सल विरोधी अभियान (Anti-Naxal operation) चलाया गया था। नक्सल रोधी अभियान में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। अभियान के दौरान मारा गया एक व्यक्ति नक्सली नहीं बल्कि आदिवासी था। अब इस मामले पर मध्य प्रदेश की विपक्षी कांग्रेस (Opposition Congress) ने दावा किया कि वह (मारा गया व्यक्ति) निर्दोष था। पुलिस का कहना है कि अभी तक उनके पास एक भी सबूत नहीं है, जिससे ये साबित हो सके कि मारा गया हिरन सिंह पार्थ नक्सली था। आइए जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है…
कांग्रेस ने घटना की उच्च स्तरीय और न्यायिक जांच की मांग की है। अधिकारियों ने बताया कि हिरन सिंह पार्थ (38) नाम का व्यक्ति बैगा समुदाय से ताल्लुक रखता था, जो विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह है। बीते 9 मार्च को एक नक्सल रोधी अभियान के दौरान हिरन सिंह को नक्सली समझकर मार दिया गया था। अब कांग्रेस इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रही है।
इस घटना को लेकर जानकारी देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुठभेड़ नौ मार्च को हुई थी और मारे गये व्यक्ति की पहचान गुरुवार को हो पाई। बालाघाट जोन के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) संजय कुमार ने बताया कि पार्थ, जिले के खटिया इलाके में जंगल के अंदर नक्सलियों के साथ था। उन्होंने बताया कि वह नक्सलियों के साथ कैसे था? यह जांच का विषय है। नक्सली अक्सर आदिवासियों के साथ घूमते हैं। हम जांच के बाद ही उसके (नक्सलियों के साथ) संबंध के बारे में कुछ कह सकते थे।
इस घटना को लेकर जानकारी देते हुए शीर्ष अधिकारी ने बताया कि हमारे पास कोई सबूत नहीं है कि वह नक्सली था। पुलिस ने बताया कि हिरन सिंह पार्थ लसारा टोला गांव का रहने वाला था। 9 मार्च को नक्सली होने के शक में उसे मार दिया गया था। उन्होंने बताया कि मुठभेड़ के बाद नक्सलियों से संबंध रखने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया।
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