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MP : भोपाल से भेजे गए यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर बवाल, 2 युवकों ने की आत्मदाह की कोशिश

January 03, 2025

धार . धार (dhaar) जिले के औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर (Pithampur) में भोपाल (Bhopa) से लाए गए यूनियन कार्बाइड (Union Carbide) के कचरा (waste) का विरोध बढ़ता जा रहा है. इसके विरोध में पहले से घोषित आज बंद को व्यापक समर्थन मिला रहा है. विरोध में दो प्रदर्शनकारियों ने खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली. फिलहाल उन्हें इंदौर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

दरअसल, शुक्रवार सुबह से ही पीथमपुर के बाजार बंद हैं. चाय पानी की दुकानें बंद रखकर रहवासियों ने इस बंद को समर्थन दिया है. यहां छोटी-छोटी दुकानें भी बंद हैं.


इधर, कुछ बंद समर्थकों ने धनगड, बस स्टैंड और आजाद चौक पर पहुंचकर सड़कें जाम करने का प्रयास किया था. लेकिन वहां पर मौजूद पुलिस अधिकारियों से झड़प हुई. पुलिस ने कुछ बंद समर्थकों पर लठियां चलाईं, हल्का बल प्रयोग कर उन्हें समझाइश देकर रवाना किया.

वहीं, गुरुवार से आमरण अनशन पर बैठे संदीप रघुवंशी के समर्थन में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. जबकि सैलाना विधायक कमलेश डोडियार भी धरना स्थल पर ही मौजूद हैं.

सैलाना MLA कमलेश डोडियार भी प्रदर्शन में शामिल
हालांकि, औद्योगिक क्षेत्र में कारखाने चालू हैं. कर्मचारी और मजदूरों के आवागमन में कोई बाधा नहीं हो रही है. बसों का संचालन भी हो रहा है. क्षेत्र में पर्याप्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.

कांग्रेस ने बीजेपी सरकार को घेरा
धार के लाठीचार्ज पर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार को घेर लिया है. एमपी कांग्रेस ने पूछा है, ”क्या मध्यप्रदेश में लोकतंत्र शेष है या नहीं? पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का जहरीले कचरा जलाने का विरोध करने पर लाठी, MPPSC के खिलाफ आंदोलन पर युवाओं को जेल. इस सरकार ने विरोध को केवल दमन करना सीख लिया है! मोहन सरकार के अराजक राज में हक अधिकार की बात करना दुश्वार है.”

कांग्रेस राजनीति कर रही: डिप्टी CM
धार में यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर हुए लाठीचार्ज पर मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि कचरा अब हानिकारक नहीं है और घटना के 25 साल बाद भी इसका असर खत्म नहीं हुआ है. पीथमपुर में भी कचरे को जलाने से कोई नुकसान नहीं है, इसलिए वहां के लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. कांग्रेस यूनियन कार्बाइड के नाम पर राजनीति कर रही है.

337 टन जहरीला कचरा भोपाल से भेजा गया 250 किमी दूर
भोपाल गैस कांड के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन जहरीला कचरा गुरुवार तड़के इंदौर के पास स्थित पीथमपुर की एक औद्योगिक अपशिष्ट निपटान इकाई में पहुंचा दिया गया. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में ग्रीन कॉरिडोर बनाकर जहरीले अपशिष्ट को 12 सीलबंद कंटेनर ट्रकों में भोपाल से 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र की अपशिष्ट निपटान इकाई में भेजा गया. एक निजी कंपनी द्वारा संचालित इस यूनिट के आस-पास बड़ी तादाद में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.

डधर, स्थानीय नागरिक समूहों ने यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे को पीथमपुर में नष्ट नहीं किए जाने की मांग को लेकर इस औद्योगिक कस्बे में विरोध प्रदर्शन जारी रखने की घोषणा की है. करीब 1.75 लाख की आबादी वाले पीथमपुर में शुक्रवार को बंद का आह्वान भी किया गया है.

नागरिकों ने जहरीले कचरे को पीथमपुर में नष्ट किए जाने से इंसानी आबादी और पर्यावरण पर दुष्प्रभावों की आशंका जताई है. प्रदेश सरकार ने इस कचरे के सुरक्षित निपटान के पक्के इंतजामों का भरोसा दिलाते हुए हुए इन आशंकाओं को खारिज किया है.

दरअसल, पीथमपुर धार लोकसभा क्षेत्र में आता है. इस क्षेत्र की लोकसभा में नुमाइंदगी करने वाली सावित्री ठाकुर केंद्र सरकार में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री हैं. ठाकुर ने बताया कि हम जन प्रतिनिधि राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव तक पीथमपुर के नागरिकों का पक्ष पहुंचाएंगे और मुख्यमंत्री से उचित कदम उठाए जाने का आग्रह किया जाएगा.

पीथमपुर, राज्य के प्रमुख शहर इंदौर से करीब 30 किलोमीटर दूर है. इंदौर के नागरिक भी यूनियन कार्बाइड कारखाने का जहरीला कचरा पीथमपुर में जलाए जाने का विरोध कर रहे हैं.

इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने मांग की है कि इस कचरे को पीथमपुर में नष्ट किए जाने की योजना पर फिर से विचार किया जाना चाहिए और इस सिलसिले में राज्य सरकार की ओर से मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर की जानी चाहिए।

बता दें कि भोपाल में 2-3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ था. इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे. इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है.

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने तीन दिसंबर को इस कारखाने के जहरीले कचरे को स्थानांतरित करने के लिए चार सप्ताह की समय-सीमा तय की थी और सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर उसके निर्देश का पालन नहीं किया गया, तो अवमानना की कार्यवाही की जाएगी.

राज्य के गैस राहत और पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में शुरुआत में कचरे के कुछ हिस्से को जलाकर देखा जाएगा और इसके ठोस अवशेष (राख) की वैज्ञानिक जांच की जाएगी ताकि पता चल सके कि इसमें कोई हानिकारक तत्व तो बचा नहीं रह गया है.

उन्होंने बताया कि भस्मक में कचरे के जलने से निकलने वाले धुएं को चार स्तरों वाले विशेष फिल्टर से गुजारा जाएगा ताकि आस-पास की वायु प्रदूषित न हो और इस प्रक्रिया के पल-पल का रिकॉर्ड रखा जाएगा. कचरे के भस्म होने और हानिकारक तत्वों से मुक्त होने के बाद इसके ठोस अवशेष (राख) को दो परतों वाली मजबूत ‘मेम्ब्रेन’ (झिल्ली) से ढक कर ‘लैंडफिल साइट’ में दफनाया जाएगा ताकि यह अपशिष्ट किसी भी तरह मिट्टी और पानी के संपर्क में न आ सके.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की निगरानी में विशेषज्ञों की एक टीम इस प्रक्रिया को अंजाम देगी।

कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि 2015 के दौरान पीथमपुर में परीक्षण के तौर पर यूनियन कार्बाइड के 10 टन कचरे को नष्ट किया गया था जिसके बाद आस-पास के गांवों की मिट्टी, भूमिगत जल और जल स्रोत प्रदूषित हो गए.

गैस राहत और पुनर्वास विभाग के निदेशक सिंह ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि 2015 के परीक्षण की रिपोर्ट और सभी आपत्तियों की जांच के बाद ही पीथमपुर में इस कचरे के निपटान का फैसला किया गया है और चिंता की कोई बात नहीं है.

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