भोपाल । मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई वर्चुअल कैबिनेट बैठक में धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम कानून को अध्यादेश के माध्यम से लागू करने का निर्णय लिया गया। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अनुमति के लिए भेजा गया है। उनकी अनुमति के बाद यह अधिनियम प्रदेश में प्रभावी हो जाएगा।
बैठक के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यदि कोई सेवा निर्धारित समय में संबंधित अधिकारी द्वारा व्यक्ति को नहीं दी जाती है, तो वह कंप्यूटर द्वारा जनित होकर स्वत: पात्र को मिल जायेगी। अधिकारी की कोई आवश्यकता ही नहीं होगी। लोभ, लालच, भय, प्रलोभन देकर या कुत्सित इरादों से विवाह करना अथवा धर्मांतरण करवाना संज्ञेय अपराध है। अधिनियम विरुद्ध सामूहिक धर्म परिवर्तन किये जाने पर 5 से 10 वर्ष का कारावास और एक लाख रुपये तक का अर्थदण्ड की सजा होगी।
उन्होंने कहा कि हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि नववर्ष 2021 का शुभारंभ नई उमंग, उत्साह, आशा और विश्वास के साथ हो। धर्म स्वातंत्र्य विधेयक समेत अन्य महत्वपूर्ण विधेयकों को अध्यादेश के जरिये कानून बनाया जाएगा।
गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कैबिनेट के निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से मप्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र स्थगित हो गया है। इस सत्र के दौरान यह विधेयक सदन में प्रस्तुत किया जाना था लेकिन सत्र स्थगित होने की वजह से अब इसे अध्यादेश के जरिये लाने का निर्णय लिया गया है। लव जिहाद को रोकने के लिए मध्य प्रदेश में धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम लागू होगा। इससे संबंधित अध्यादेश को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
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